नई दिल्ली। देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मद्देनजर इनपुट क्रेडिट हासिल करने वाले उत्पादों की कीमतों में कमी नहीं करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि जीएसटी परिषद ने राज्यों और केन्द्र को मुनाफाखोरी निरोध के लिए समिति बनाने को मंजूरी दे दी है। वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शनिवार को यहां हुई जीएसटी परिषद की 20वीं बैठक में परिषद ने यह मंजूरी दी।
बैठक के बाद जेटली ने उद्योग जगत एवं कारोबारियों से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मद्देनजर मिलने वाले इनपुट क्रेडिट का लाभ उपभोक्ताओं को देने की अपील करते हुए आज कहा कि जीएसटी परिषद ने मुनाफाखोरी रोकने के लिए केन्द्र एवं राज्य में समिति बनाने को मंजूरी दे दी है। यदि इनपुट क्रेडिट के लाभ को उपभोक्ताओं को नहीं दिया जाएगा तो मजबूरन चयन समिति का गठन करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि ट्रेक्टर के कुछ कलपुर्जों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने को लेकर कुछ शिकायतें मिली थीं जिस पर परिषद ने विचार किया और अब इसके कम कर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह से अब कालीन सहित हर तरह के कपड़ा उद्योग में जॉब वर्क पर सिर्फ पांच प्रतिशत ही जीएसटी लगेगा। पहले इसके लिए दो दरें तय की गई थी, जिसमें पांच और 18 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा कराए जाने वाले काम पर 18 प्रतिशत कर लग रहा था, जिसे अब कम कर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। 18 प्रतिशत होने से लागत बढ़ रही थी इसलिए परिषद ने इस पर लगने वाले सेवा कर को कम कर दिया गया है। इसके साथ ही 19 सेवाओं पर जीएसटी दर को फिटमेंट समिति ने संशोधित किया है।