भारतीय मूल की ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त सिद्धू को पसंद है भारत की हर चीज

- शोभना जैन/ सरोज नागी 
 
नई दिल्ली। राजधानी स्थित ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त्त हरिंदर सिद्धू का फूलों से महकता और हरियाली से खिला निवास, सुबह की उजली खिली हुई धूप, आवास के अंदर प्रवेश करते ही गर्माहटभरी खिलखिलाहट से स्वागत करती भारतीय-सी लगने वाली महिला है।
 
भारतीय मूल की भारत में ऑस्ट्रेलिया की उच्चायुक्त हरिंदर सिद्धू। पंजाब से दशकों पहले ऑस्ट्रेलिया गए पंजाबी माता-पिता की संतान अपनी गहरी भारतीय जड़ों के साथ सिद्धू अब अपनी कर्मभूमि और अपने माता-पिता और पुरखों के देश के बीच संबंध मजबूत करने के लिए पुल की भूमिका निभा रही हैं। 
 
अपने 1 वर्ष के कार्यकाल में भारत को उन्होंने नजदीक से देखा, जाना, समझा है। भारत की हर चीज ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। भारतीयों के दोस्ताना व्यवहार, गर्मजोशी ने उन्हें दिल से उनका मुरीद बना दिया है। 
 
अब वे अपने बड़ों की भाषा हिन्दी भी सीख रही हैं। बॉलीवुड फिल्मों की खासी शौकीन हैं। शाहरुख खान की बहुत बड़ी फैन हैं। उन्हें इस बात का अफसोस है कि वे अभी तक शाहरुख खान से मिल नहीं पाई हैं। भारत के आंचलिक खानों की वे बहुत शौकीन हैं और खासतौर पर पंजाबी खाना उनके दिल के बहुत करीब है। भारत की विविधता उन्हें बहुत प्रभावित करती है। 
 
सिद्धू ने यहां वीएनआई से एक खास बातचीत में अपने 1 वर्ष के कार्यकाल को उभयपक्षीय संबंधों के लिए अतिमहत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया का खास बेहद अनूठा मजबूत रिश्ता है। दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत बनाने की जो व्यवस्था पहले से मौजूद है इससे उसे और मजबूती मिल रही है। 
 
ऑस्ट्रेलिया में लगभग 5 लाख भारतीय हैं और पिछले 10 वर्षों में जिस तेजी से वहां जन्म लेने वाले भारतीय मूल के लोगों की संख्या बढ़ी है, उससे यही लगता है कि यह जगह उनके लिए संभावनाओं के सच होने की जगह है। पंजाबी भाषा वहां अब अप्रवासी भारतीयों द्वारा बोली जाने वाली सबसे बड़ी जबान बन गई है। 
 
ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच मजबूत होते राजनयिक और जनता के बीच बढ़ते रिश्तों की चर्चा करते हुए वे बताती हैं कि उनके माता-पिता की ऑस्ट्रेलिया में सफलता की कहानी कोई असामान्य सफलता की कहानी नहीं है। हर राष्ट्रीयता के लोगों को वहां खिलने का मौका मिला और वे स्वयं इसका उदाहरण हैं। 
 
ऑस्ट्रेलिया में कुछ वर्ष पूर्व कुछ भारतीय छात्रों पर हुए हमलों के बारे में सवालों के विस्तृत जवाब में उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया दुनिया में अत्यंत सुरक्षित स्थान है, जहां अपराध दर सबसे कम है। भारत की विविधता ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है। उन्हें लगता है कि कितना सब कुछ यहां है- सीखने, समझने, देखने के लिए। उन्होंने कहा कि भारतीयों का दोस्ताना व्यवहार, गर्मजोशी, उनकी सामाजिकता उन्हें बहुत भाई है।
 
सिद्धू के माता-पिता दशकों पूर्व ऑस्ट्रेलिया बस गए थे और अब वे भारत में ऑस्ट्रेलिया की दूत बनकर लौटी हैं। सिद्धू बताती हैं कि वे इन दिनों हिन्दी सीख रही हैं। एक शिक्षिका उन्हें हिन्दी सिखाने बताती हैं। अब थोड़ा-थोड़ा हिन्दी बोल लेती हूं। मां के लाख चाहने के बावजूद मैं हिन्दी नहीं सीख पाई।
 
मुस्कराते हुए यह बताते हुए सिद्धू की आवाज कुछ यादों में डूबी-सी हो जाती है। सवाल के जवाब में वे बताती हैं कि किस तरह उनके पिता ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर सिडनी में एक छोटा-सा गुरुद्वारा बनाया, जो कि आज वहां एक बड़ा महत्वपूर्ण स्थल बन चुका है। 
 
'यह संस्कृति और आस्था को बरकरार रखने की कोशिश थी', पिता को याद करती हुई उच्चायुक्त बताती हैं। कुछ समय पूर्व वे अमृतसर के हरमिंदर साहब गुरुद्वारे गईं और वहां अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए और गर्मजोशी से भरे लोगों से मिलीं और मनपंसद पंजाबी खाने का लुत्फ लिया। 'पंजाब का सरसों का खाना और मक्की की रोटी' कहते-कहते वे खिलखिलाकर हंस पड़ती हैं। 
 
उच्चायुक्त बताती हैं कि भारत की विविधता, भिन्न-भिन्न भोजन-संस्कृति सब कुछ अनूठा है। बॉलीवुड फिल्मों की खासतौर पर अभिनेता शाहरुख खान की वे फैन हैं। शाहरुख खान की नई फिल्म 'रईस' समय मिलते ही देखने का इंतजार है। अफसोस है कि अभी तक वे उनसे मिली नहीं हैं। 
 
यह कहे जाने पर कि आप उन्हें उच्चायोग निमंत्रित कर लें तो वे खिलखिलाकर कहती हैं कि हां, मेरा स्टाफ भी बहुत खुश हो जाएगा। पास बैठी उनकी टीम की सदस्य वर्तिका सेठी और फिलीपीन्स की जॉयनिल के चेहरे पर मुस्कराहट चौड़ी हो जाती है। निकलने का समय हो गया है, बाहर धूप की खिलखिलाहट और चौड़ी हो गई है। (वीएनआई)

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