भारत को यूरेनियम सप्लाई पर कोई बाधा नहीं : ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त

- शोभना जैन/ सरोज नागी
 
नई दिल्ली। भारतीय मूल की ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त हरिंदर सिद्धू ने भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के रिश्तों को 'भविष्य के रिश्ते' बताया है, साथ ही कहा है कि दोनों देशों के बीच काफी लंबे समय से चल रही मुक्त व्यापार समझौता वार्ता ठप नहीं है। मतभेद वाले बिंदुओं को सुलझाया जा रहा है। वार्ता का नया दौर इस वर्ष शुरू होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि वार्ता के सकारात्मक परिणाम निकल सकेंगे।
 
उन्होंने परमाणु आपूर्ति ग्रुप एनएसजी में भारत की सदस्यता का जोरदार समर्थन करते हुए यह भी कहा है कि ऑस्ट्रेलिया ने खुलकर इस ग्रुप में भारत के प्रवेश का स्वागत किया तथा दोनों देशों के बीच यूरेनियम आपूर्ति समझौता होने के बाद ऑस्ट्रेलिया की निजी क्षेत्र की कंपनियां भारत को शांतिपूर्ण कार्यों के लिए यूरेनियम आपूर्ति किए जाने में काफी दिलचस्पी दिखा रही हैं तथा यह कहना सही नहीं है कि आपूर्ति शुरू होने में कुछ रुकावटें हैं।
 
उन्होंने कहा कि पूरी व्यावसायिक प्रणाली तय करने में कुछ समय तो लगता ही है। ऐसे काम तुरत-फुरत नहीं हो पाते हैं अलबत्ता सरकार ने अपना काम कर दिया है। 2016 में कानून बन चुका है और सरकार की तरफ से कोई बाधा नहीं है। उम्मीद करनी चाहिए कि यह प्रणाली जल्द ही तय हो जाएगी और निजी क्षेत्र यूरेनियम निर्यात शुरू कर देगा।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या इस वर्ष निर्यात शुरू हो सकता है? उन्होंने कहा कि यह काम अब निजी क्षेत्र का है। उम्मीद है निजी क्षेत्र अपनी प्रक्रिया जल्द पूरी कर निर्यात शुरू कर सकेगा। 
 
भारत में अपना 1 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुकीं सिद्धू ने भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों के समग्र पहलुओं पर वीएनआई के साथ एक विशेष इंटरव्यू में ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को 'बहुत खास और अनूठी साझीदारी का मजबूत रिश्ता' बताते हुए दोनों देशों के संबंधों के भावी स्वरूप पर अपनी सोच परिभाषित करते हुए कहा कि दोनों देश ऐसी समझदारी, संबंध विकसित करें, जो कि अनूठा हो जिस पर दुनिया में चाहे कोई भी बदलाव हो, असर नहीं हो।
 
सिद्धू भारतीय मूल की भारत में दूसरी ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त हैं। इससे पूर्व पीटर वर्गीज भारत में भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त थे जिनके माता-पिता केरल से ऑस्ट्रेलिया बसे थे। अपनी भारतीय जड़ों से गहरे तौर पर जुड़ीं सिद्धू के माता-पिता पंजाब से ऑस्ट्रेलिया गए थे और अब वे अपने माता-पिता और पुरखों के देश में ऑस्ट्रेलिया की दूत बनकर लौटी हैं।
 
पिछले वर्ष अपना कार्यकाल संभालने वाली उच्चायुक्त के अनुसार 'यह वर्ष आपसी संबंधों को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण रहा जिससे पिछले वर्षों में तैयार सहयोग के ढांचे को और मजबूती मिली। दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत बनाने की जो व्यवस्था पहले से मौजूद है, इससे उसे और मजबूती मिल रही है।'
 
ब्रेक्सिट में ब्रिटेन के बाहर जाने और बदलती विश्व व्यवस्था में भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में किसी प्रकार के बदलाव की आशंका को साफतौर पर खारिज करते हुए उच्चायुक्त ने कहा कि दोनों देशों के आपसी रिश्ते एक खास धरातल पर हैं। ऑस्ट्रेलिया एशिया के ज्यादा करीब है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन एक ऐतिहासिक कल है जबकि भारत हमारा भावी कल है।
 
उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया विश्व परिदृश्य में भारत की बढ़ती पैठ का स्वागत करता है। दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय राजनीतिक संपर्क पिछले वर्ष काफी बढ़ा है। अनेक शीर्ष भारतीय नेताओं की पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया यात्रा के बाद इस वर्ष अनेक वरिष्ठ ऑस्ट्रेलियाई मंत्री भारत आएंगे। 
 
कुछ वर्ष पूर्व भारतीय छात्रों पर हुए हमलों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे सुरक्षित देश है। वहां एक बात बहुत साफ है कि ऐसे किसी भी प्रकार के हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे अधिकतर हमलों के पीछे आपराधिक वजह थी अलबत्ता कुछ मामले नस्लीय हिंसा से भी जुड़े हैं। इन घटनाओं के बाद भारतीय छात्रों को भी सुनसान क्षेत्रों की बजाय सुरक्षित क्षेत्रों में ही जाने की सलाह दिए जाने के साथ पुलिस को भी संवेदनशीलता बरतने की सलाह दी गई।
 
इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा कि पंरपरागत सहयोग वाले क्षेत्रों के साथ ही अब जल प्रबंधन, पर्यावरण जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया जा रहा है। दोनों देश व्यापार तथा निवेश क्षेत्र में सहयोग बढ़ा रहे हैं। व्यापार फिलहाल ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में है लेकिन यह बात दोनों ही के पक्ष में है कि भारत का बाजार बहुत बड़ा है। भारत की भी ऑस्ट्रेलिया के बाजारों पर नजर है। सामरिक विशेष तौर पर नौसैन्य क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है। पिछला वर्ष इस मायने में बहुत महत्वपूर्ण था। दोनों देश हिन्द महासागर रिम में सहयोग बढ़ा रहे हैं। ब्लू इकॉनोमी में दोनों देशों की समान दिलचस्पी है और इस क्षेत्र में दोनों सहयोग बढ़ा रहे हैं। 
 
आतंकवाद के क्षेत्र में दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं। पिछले दिसंबर में ही इस बारे में गठित संयुक्त कार्यदल की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिए गए ताकि आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निबटा जा सके।
 
व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के इतने वर्षों और अनेक दौर की वार्ता के बाद भी समझौते के आसार नजर नहीं आने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उच्चायुक्त ने कहा कि वार्ता ठप नहीं है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि वार्ता का सकारात्मक परिणाम निकलेगा। इस पर दोनों देश इस बारे में अपने अपने रुख का जायजा ले रहे हैं। इस बारे में काफी काम हुआ है। खाद्य तथा कृषि क्षेत्र सहित टैरिफ के अनेक क्षेत्र हैं जिन पर असहमति के बिंदु हैं जिन्हें धीरे-धीरे सुलझाया जा रहा है और यह दोनों के ही हित में है कि इन्हें सुलझा लिया जाए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष वार्ता का कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। 
 
पिछले 1 वर्ष के विभिन्न क्षेत्रों में उभयपक्षीय सहयोग कार्यक्रम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस दौरान सैन्य, आर्थिक और जनता के बीच संपर्क बढ़ाने के अनेक कार्यदल काफी सक्रिय हैं। जी-20 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों और जापान के साथ दोनों देशों के त्रिपक्षीय फोरम में आपसी समझ-बूझ से मिलकर काम किया। 
 
पिछले वर्ष 9 सैन्य सहयोग बढ़ाने के अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रम हुए। इसी क्रम में इस वर्ष ऑस्ट्रेलिया में दोनों देशों का संयुक्त नौसैन्य अभ्यास होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अरुण जेटली, पीयूष गोयल जैसे वरिष्ठ नेता की यात्राओं से व्यापार और निवेश को बल मिला। 
 
जल प्रबंधन जैसे नए क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाए जाने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया विश्व में चोटी का प्रबंधक माना जाता है और अब वह अपने इस विशेषज्ञता का लाभ दे रहा है। इसी सिलसिले में राजस्थान में ऑस्ट्रेलिया के सहयोग से राजस्थान में जल प्रबंधन का आदर्श केंद्र बनाया जा रहा है। इसी तरह से तमिलनाडु में भी मत्स्य केंद्र के विकास में सहयोग दिया जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने निवेश के नियमों में जो ढील दी है और निवेश नियमों को उदार बनाया है उससे व्यापार व निवेश को सकारात्मक गति मिली है। दोनों देशों के बीच पिछले वर्ष 7.7% की दर से व्यापार बढ़ा, दरअसल भारत ऑस्ट्रेलिया का 10वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है। 
 
उन्होंने कहा कि भारत बहुत बड़ा बाजार है और दोनों देशों में विकास की गति भी तीव्र है। शिक्षा के क्षेत्र में भी अब नए क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार हो रहा है। कौशल विकास, विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के साथ गठबंधन इसके उदाहरण हैं। अब ऑस्ट्रेलिया जाने वाले भारतीय छात्रों के साथ कोलंबो योजना के तहत लगभग 1,000 ऑस्ट्रेलियाई छात्र भी भारत अध्ययन के लिए आ रहे हैं। (वीएनआई) 

वेबदुनिया पर पढ़ें