Hearing on marital rape: प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने वैवाहिक बलात्कार के मामलों में पतियों को दी गई छूट को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई बुधवार को चार सप्ताह के लिए टाल दी। प्रधान न्यायाधीश 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
अब दूसरी पीठ करेगी सुनवाई : प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि सभी वकीलों को मामले में दलीलें पेश करने के लिए इच्छित समय दिया जाना चाहिए। पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई 4 सप्ताह बाद किसी अन्य पीठ द्वारा की जानी तय की गई।
क्या कहती है बीएनएस की धारा : क्या कहती है भारतीय न्याय संहिता : भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के अपवाद खंड के तहत, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध, यदि पत्नी नाबालिग न हो, बलात्कार नहीं है। यहां तक कि नए कानून के तहत भी, धारा 63 (बलात्कार) के अपवाद 2 में कहा गया है कि पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध, यदि पत्नी 18 वर्ष से कम आयु की नहीं हो, बलात्कार नहीं है।
केंद्र ने कहा कि तेजी से बढ़ते और लगातार बदलते सामाजिक और पारिवारिक ढांचे में संशोधित प्रावधानों के दुरुपयोग से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि किसी व्यक्ति के लिए यह साबित करना मुश्किल होगा कि सहमति थी या नहीं। (भाषा/वेबदुनिया)