सामाजिक कार्यकर्ता अनिल गलगली के अनुसार, आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार 1997 में शिवसेना-भाजपा की गठबंधन सरकार के दौरान भी उन्हें एक भूमि आवंटित की गई थी, लेकिन वह भूमि चूंकि तटवर्ती नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) में आता था इसलिए वह उस पर निर्माण नहीं करा सकीं।
गलगली को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, हेमा मालिनी को करोड़ों की कीमत वाली यह भूमि मात्र 70,000 रुपए आवंटित कर दी गई।