प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति बीआर गवई तथा न्यायायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे की संभावना तलाश सकता है, वहीं उच्चतम न्यायालय ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान नफरतभरा भाषण देने के आरोपों पर नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर से जवाब तलब किया।
मंदर की वकील करुणा नंदी ने इस बात से इंकार किया कि मंदर ने कोई नफरतभरा भाषण दिया, जैसा कि केंद्र ने आरोप लगाया है। शुरुआत में जब यह विषय सुनवाई के लिए आया, तब पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस से पूछा कि क्या मंदर ने सरकार या संसद के खिलाफ कोई बयान दिया है।
इस पर मेहता ने कहा कि मंदर ने गंभीर और आपत्तिजनक बयान दिए हैं और उन्होंने उनमें से कुछ का हवाला दिया। अधिवक्ता नंदी ने कहा कि वे मंदर का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और गोंजाल्विस ने भी कहा कि वे कार्यकर्ता की ओर से शुरुआत में पेश हो चुके हैं लेकिन इस वक्त वे हिंसा प्रभावित लोगों की ओर से पेश हो रहे हैं।