शाह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एनआरसी में 6 गैर मुस्लिम धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने से जुड़े एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया कि सरकार चाहती है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश में प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन पारसी और इसाई धर्म के शरणार्थियों को नागरिकता दी जाए।
शाह ने कहा कि असम में गैरकानूनी शरणार्थियों की समस्या से निपटने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश पर एनआरसी कानून बनाकर लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि बाद में एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जाएगा, उस समय भी असम को इसमें स्वाभाविक तौर पर शामिल किया जाएगा।
असम में एनआरसी से बाहर किए गए 19.6 लाख लोगों की अपील पर अभी तक न्यायाधिकरण में सुनवाई नहीं होने के पूरक प्रश्न के जवाब में शाह ने कहा, ऐसे सभी लोगों को ट्रिब्यूनल में जाने का अधिकार है, जिनके नाम एनआरसी में छूट गए हैं। ट्रिब्यूनल में अपील दायर करने की सुविधा असम की हर तहसील में मुहैया कराई जाएगी और राज्य सरकार निर्धन तबके के लोगों को विधिक सहायता भी उपलब्ध कराएगी।