आखिर कैसे खड़ा हुआ और क्या है ट्विन टावर के करप्शन की कहानी?
रविवार, 28 अगस्त 2022 (13:24 IST)
जिस ट्विन टावर को आज ढहाया जा रहा है, उसमें करीब 711 लोगों ने अपने फ्लैट बुक कराए थे। इसे ढहाए जाने के साथ ही इन के सपने भी इमारत के मलबे में दबकर दम तोड़ देंगे। हालांकि इसके बनने के पीछे भ्रष्टाचार की भी एक लंबी कहानी है। जिसमें बिल्डर, अफसर और नेताओं की मिलीभगत शामिल है। जानते हैं क्या है करप्शन के इस टावर की कहानी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा स्थित ट्विन टावर्स आज ढहा दिया जाएगा। जिस इमारत को बनने में 13 साल लगे, वो महज कुछ ही सेकंड में ढहकर मलबे में बदल जाएगी। नोएडा की इस सबसे विशाल इमारत को गिराने में वाटरफॉल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
बेसमेंट से ब्लास्टिंग की शुरुआत होगी और जो 30वीं मंजिल पर जाकर थम जाएगी। इसे इग्नाइट ऑफ एक्सप्लोजन कहते हैं। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब इतनी बड़ी बिल्डिंग को जमींदोज कर दिया जाएगा।
सुपरटेक की इस इमारत को भ्रष्टाचार का प्रतीक माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसे गिराना करप्शन के खिलाफ एक मैसेज देना है। एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद रविवार को इसे गिराया जा रहा है। हालांकि यह बिल्डिंग के बिल्डरों और अधिकारियों के गठजोड़ से खरीददारों के साथ धोखे की कहानी लंबी है। कई सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद आज ट्विन टावर धूल में मिल जाएगा।
बिल्डरों और अधिकारियों का करप्शन
बता दें कि इस इमारत में फ्लैट खरीदने और बुक कराने के लिए लोगों ने एक-एक पैसा जोड़ा था। लोगों ने कई सालों तक इस इमारत में अपना घर बुक कराने के लिए बचत की थी। लेकिन अब उनका सपना ढहता नजर आ रहा है। एमराल्ड कोर्ट के रिजिडेंट ने 12 सालों तक इस ट्विन टावर को गिराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का अपना फैसला सुनाया था।
आखिर क्या है टावर के भ्रष्टाचार की कहानी?
बताया जा रहा है कि यह इमारत भ्रष्टाचार की इमारत है। इसे बनाने में भी करीब 13 साल लगे। करीब डेढ़ दशक पहले भ्रष्टाचार की इस इमारत के निर्माण की शुरुआत हुई थी। नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) के लिए भूमि आवंटन का काम 23 नवंबर 2004 को हुआ था। इस परियोजना के लिए नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक (Supertech) कंपनी को 84,273 वर्गमीटर भूमि आवंटित की थी। साल 2005 मार्च के महीने में इसकी लीज डीड हुई, लेकिन उस वक्त लैंड की पैमाइश में घोर लापरवाही बरतने का मामला सामने आया। बता दें कि ट्विन टावर्स में करीब 711 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे। लेकिन अब इसे गिराने जाने के चलते उनके सपने भी धूल और गुबार में दबते नजर आ रहे हैं।
ट्विन टावर का फैक्ट फाइल
28 अगस्त को नोएडा के ट्विन टावर के 32 और 29 मंजिल के टावर्स को गिराया जाएगा
9 सेकेंड में ये दोनों टावर मलबे में तब्दील हो जाएंगे
ट्विन टावर के एपेक्स की ऊंचाई 103 मीटर है, जबकि टावर के सेयेन की ऊंचाई 97 मीटर है
टॉवर से करीब 3 हजार ट्रक मलबा निकलेगा
मलबे में करीब 4 हजार टन स्टील निकलेगा
ट्विन टावर के गिरने पर मलबे के साथ 35,000 घन मीटर धूल का गुबार उठेगा
मलबे को ढोने के लिए ट्रक करीब 1200 से 1300 चक्कर लगाएंगे
मलबे को साफ होने में 3 महीने का वक्त लगेगा
मलबे की कीमत 13 करोड़ तक बताई जा रही है
टावर को गिराने में करीब 18 करोड़ रुपए का खर्च होगा, जबकि इसकी लागत 70 करोड़ रुपए है