Independence Day: उत्तर महाराष्ट्र (north Maharashtra) के एक सुदूर गांव जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची और मोबाइल सिग्नल भी हवा की तरह खो जाता है, वहां गणेश पावरा ने देशभक्ति की मिसाल पेश करते हुए स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) की पूर्व संध्या पर एक वीडियो डाउनलोड कर सीखा कि तिरंगे (tricolour) को किस तरह बांधा जाए कि वह बिना रुकावट शान से लहराए।
फाउंडेशन द्वारा संचालित 4 स्कूलों में पढ़ने वाले 250 से ज्यादा बच्चे शुक्रवार को झंडा फहराने के कार्यक्रम में शामिल हुए, साथ ही गांव के स्थानीय लोग भी मौजूद रहे। इन गांवों में न तो कोई सरकारी स्कूल है और न ही ग्राम पंचायत का दफ्तर, इसलिए पिछले 70 साल में यहां कभी झंडा नहीं फहराया गया।
सदरी के निवासी भुवानसिंह पावरा ने बताया कि गांव के लोग दूसरे इलाकों तक पहुंचने के लिए या तो कई घंटे पैदल चलते हैं या फिर नर्मदा नदी में संचालित नौका सेवा पर निर्भर रहते हैं। 'वाईयूएनजी फाउंडेशन' का स्कूल उनकी जमीन पर संचालित किया जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा की कमी यहां की सबसे बड़ी समस्या है, और वह नहीं चाहते कि अगली पीढ़ी भी इसी तकलीफ से गुजरे।
इन गांवों तक अब तक बिजली नहीं पहुंची है, इसलिए ज्यादातर घर सौर पैनल पर निर्भर हैं। यहां के लोग पावरी बोली बोलते हैं, जो सामान्य मराठी या हिंदी से काफी अलग है जिससे बाहरी लोगों के लिए उनसे संवाद करना मुश्किल होता है। देओरे ने बताया कि शुरुआत में लोगों का विश्वास जीतना कठिन था, लेकिन जब वे इस काम के उद्देश्य को समझ गए, तो उनका सहयोग आसान हो गया।
यह संस्था अपने शिक्षकों के वेतन और स्कूलों के लिए बुनियादी ढांचे की व्यवस्था के लिए दान पर निर्भर है। लेकिन ये स्कूल अनौप4िक होने के कारण यहां सरकारी स्कूलों की तरह मध्याह्न भोजन योजना लागू नहीं की जा सकती। सरकार द्वारा नियुक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अकसर इन दूरदराज के गांवों में नहीं आते। हालांकि कई जगह स्थिति अलग है जैसे खपरमाल की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आजमीबाई अपने गांव में ही रहती हैं और ईमानदारी से अपना काम करती हैं।(भाषा)