कितना अहम है मोदी-शाह के लिए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024, भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी इसी पर निर्भर

Modi and Shah credibility at stake in Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव न सिर्फ महायुति बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित‍ शाह के लिए भी काफी अहम हैं, क्योंकि इन चुनावों के परिणाम का असर भाजपा अध्यक्ष के चुनाव पर भी देखने को मिल सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि महाराष्ट्र में मोदी और शाह के मन माफिक परिणाम नहीं आते हैं तो संभव है अगला भाजपा अध्यक्ष उनकी पसंद से अलग भी हो सकता है। 
 
दरअसल, हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद मोदी-शाह की ताकत में एक बार फिर इजाफा देखने को मिला है। लोकसभा चुनाव के बाद यह जोड़ी कुछ समय के लिए बैकफुट पर आ गई थी। यदि महाराष्ट्र में महायुति चुनाव हार जाती है तो हरियाणा विधानसभा चुनाव की जीत को भी एक 'संयोग' माना जा सकता है। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए कम से 145 सीटों की जरूरत होगी। ALSO READ: History Of Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का संपूर्ण इतिहास, सबसे लंबे समय तक मुख्‍यमंत्री रहे वसंत नाईक
 
कितना कारगर होगा जीत का जुमला : मोदी, यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अमित शाह समेत अन्य भाजपा नेता चुनाव जीतने के लिए अपने-अपने बयानों से विधानसभा चुनाव में हिन्दू वोटरों के ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हैं। सबसे ज्यादा चर्चा में योगी के बयान 'बंटेंगे तो कटेंगे' की है। मोदी भी प्रकारांतर से ऐसा ही जुमला उछाल रहे हैं- 'एक हैं तो सेफ हैं'। हालांकि महायुति में ही योगी के बयान को लेकर विरोध है। राज्य के डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार खुले तौर पर इस बयान का विरोध कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस बयान का समर्थन नहीं करता। यह यूपी और झारखंड में चलता होगा, महाराष्ट्र में नहीं चलता। हालांकि इसे महायुति के 'गेम प्लान' का हिस्सा भी माना जा रहा है। पवार ने इस बयान का विरोध इसलिए किया है ताकि मुस्लिम वोट एनसीपी से छिटक न जाएं। ALSO READ: क्या महाराष्ट्र में चुनाव के बाद बदलेंगे राजनीतिक समीकरण, फिर चाचा शरद के साथ आ सकते हैं अजित पवार
 
... तो कम होगी मोदी-शाह की ताकत : दूसरी ओर, महाराष्ट्र भाजपा के नेता भी 'बंटेंगे तो कटेंगे' पर असहज नजर आ रहे हैं। पार्टी की नेता पंकजा मुंडे और राज्य के पूर्व मुख्‍यमंत्री और भाजपा के राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण इस बयान को लेकर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। एमएलसी पंकजा ने कहा कि मैं इस नारे का समर्थन सिर्फ इसलिए नहीं करूंगी कि योगी आदित्यनाथ और मैं भाजपा से हैं। मेरा मानना है कि हमें सिर्फ विकास के लिए काम करना चाहिए। वहीं, चव्हाण ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि लोग इसकी सराहना करेंगे। माना जा रहा है कि इन बयानों को हवा देकर भाजपा महंगाई और बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दों से ध्यान हटाना चाहती है। बावजूद इसके चुनाव के परिणाम यदि भाजपा के पक्ष में नहीं आते हैं मोदी-शाह की ताकत और कम हो सकती है। ALSO READ: कौन बनेगा महाराष्ट्र का मुख्‍यमंत्री? एकनाथ शिंदे दौड़ से लगभग बाहर
 
कौन हो सकता है भाजपा का अगला अध्यक्ष : पार्टी में जल्द ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी चुनाव होना है। यदि ये दोनों नेता ताकतवर होते हैं तो स्वाभाविक रूप अध्यक्ष इन्हीं की पसंद का होगा। यदि परिणाम उलट होते हैं तो अध्यक्ष ऐसा भी हो सकता है जो जेपी नड्‍डा की तरह 'यस मैन' नहीं हो। कुछ समय पहले अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री संजय जोशी और राजस्थान की पूर्व मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम भी चला था, इन दोनों के ही मोदी से अच्छे संबंध नहीं हैं।

कहा तो यह भी जा रहा है कि इस बार भाजपा का अध्यक्ष दक्षिण भारत से भी हो सकता है। यदि महिला अध्यक्ष की बात सामने आती है तो स्मृति ईरानी और वसुंधरा बड़ी दावेदार हो सकती हैं। यदि स्मृति अध्यक्ष बनती हैं तो मोदी-शाह की जोड़ी इसमें कोई संदेह नहीं कि महाराष्ट्र चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा में कई परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।

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