सरकार ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि इस साल अप्रैल से जुलाई के दौरान बारिश और आकाशीय बिजली गिरने से 1,626 लोगों की मौत हो गई। केंद्र सरकार ने 10 राज्यों (आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) के 50 जिलों के लिए 186.78 करोड़ रुपए के कुल वित्तीय परिव्यय वाली 'वज्रपात सुरक्षा शमन परियोजना को मंजूरी दी है। इस अवधि के दौरान जल-मौसम संबंधी आपदाओं के कारण 52,367 पशुओं की भी जान चली गई और 1,57,817.6 हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 में 31 जुलाई तक बारिश और बिजली गिरने से 1,626 लोगों की मौत हुई। उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय आपदाओं से हुए नुकसान का केंद्रीय स्तर पर डेटा नहीं रखता है।
मंत्री ने बताया कि इस अवधि के दौरान जल-मौसम संबंधी आपदाओं के कारण 52,367 पशुओं की भी जान चली गई और 1,57,817.6 हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ। राय ने कहा कि केंद्र सरकार ने 10 राज्यों (आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) के 50 जिलों के लिए 186.78 करोड़ रुपए के कुल वित्तीय परिव्यय वाली 'वज्रपात सुरक्षा शमन परियोजना को मंजूरी दी है।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना का मकसद बिजली गिरने से होने वाली मौतों, पशुधन की हानि और बुनियादी ढांचे के नुकसान को कम करना है। इस परियोजना का मकसद वज्रपात जोखिम प्रबंधन के क्षेत्र में अनुसंधान, विकास, विनिर्माण और तकनीकी प्रगति के माध्यम से आत्मनिर्भरता विकसित करना भी है।
राय ने कहा कि भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे ने बिजली गिरने की घटनाओं का सटीक पता लगाने के लिए देश भर में फैले 112 सेंसरों वाला आकाशीय बिजली प्रणाली स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सेंसर का कवरेज दायरा 200 से 250 किलोमीटर हो सकता है, इसलिए अब पूरा देश इस नेटवर्क के अंतर्गत आता है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour