गुजरात में गैर गुजरातियों के खिलाफ हिंसा, क्या कहते हैं गुजरात के बड़े अखबार

सोमवार, 8 अक्टूबर 2018 (15:21 IST)
गुजरात के साबरकांठा जिले में 14 साल की एक बालिका से हुई बलात्कार की घटना के बाद राज्य में गैरगुजरातियों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं। साबरकांठा, गांधीनगर, मेहसाणा, पाटन, अहमदाबाद समेत राज्य के छ: जिलों में बिहार, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के लोगों के खिलाफ हिंसा की खबरें हैं।
 
एक जानकारी के मुताबिक अब तक 300 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि 23 के लगभग एफआईआर दर्ज की गई हैं। साथ ही लगभग 5000 लोगों के पलायन की भी खबर है। दूसरी ओर राज्य के डीजीपी शिवानंद झा का मानना है कि यह हमलों के चलते पलायन नहीं है बल्कि त्योहारों के कारण लोग अपने अपने राज्य की ओर लौट रहे हैं।
 
गुजरात के शीर्ष अखबारों ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से स्थान दिया है। 'संदेश' ने लिखा है कि साबरकांठा में 14 साल की बालिका के साथ रेप के बाद बिहार के रहने वाले रवीन्द्र गांडे को गिरफ्तार किया। इस घटना का पूरे राज्य में असर हुआ और 7 दिन में यूपी और बिहार के लोगों पर हमलों की 50 से ज्यादा घटनाएं हुईं। अखबार के मुताबिक मेहसाणा में 15, अहमदाबाद में 7, गांधीनगर में 3 और अरवल्ली में 2 गैर गुजरातियों पर हमले हुए। इन हमलों में 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया।
 
'दिव्य भास्कर' में गुजरात के नेतृत्व पर सवाल उठाए गए। इसके मुताबिक 4 साल में गुजरात में जातिवाद का जहर बढ़ गया है। 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्य में नए मुख्‍यमंत्री के राज में बार-बार जातिवाद को लेकर हिंसा हो रही है। दलित, ठाकोर, पाटीदार, क्षत्रिय और अन्य समाज के लोग हंगामा करके गुजरात की शांति को भंग कर रहे हैं। वर्तमान भाजपा सरकार हिंसा को काबू करने में निष्फल साबित हुई है। अखबार ने यह भी कहा है कि इस समस्या से निपटने के लिए भाजपा के पास कोई अच्छा नेता नहीं है।
 
'गुजरात समाचार' में छपी खबर के मुताबिक उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के एक बयान ने इस मामलें आग में घी का काम किया है। उन्होंने कहा है कि हिंसा की घटनाओं के पीछे ठाकोर सेना और उसके नेताओं का हाथ है।

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