करगिल हवाई पट्टी पर रात में भारतीय वायुसेना विमान की लैंडिंग
विमान की लैंडिंग से चीन और पाकिस्तान की त्यौरियां चढ़ीं
विमान की लैंडिंग के दौरान टेरेन मास्किंग का इस्तेमाल
Landing of Indian Air Force aircraft at night on Kargil airstrip : करगिल की हवाई पट्टी पर रात को मालवाहक विमान सी-130जे हरक्यूलिस को उतारकर भारत ने चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ाई है, इसके प्रति कोई दो राय नहीं है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि लद्दाख सेक्टर में एलएसी के करीब कई भारतीय एडवांस लैंडिंग ग्राउंड पर रात को अपने विमानों को उतारने की भारतीय वायुसेना की कवायद से पहले ही चीन की त्यौरियां चढ़ी हुई हैं। इसके बाद चीन ने भी लद्दाख सेक्टर के सामने वाले कई इलाकों में कई एएलजी को तैयार कर भारतीय पक्ष की भी चिंता बढ़ाई है।
वायुसेना का कहना है कि करगिल हवाई पट्टी पर रात में विमान की लैंडिंग के दौरान टेरेन मास्किंग का इस्तेमाल किया गया। टेरेन मास्किंग वह रणनीति होती है, जिसके अंतर्गत वायुसेना के विमान दुश्मन देश या सेना के रडार को चकमा देकर अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं। इसके तहत पायलट ने आसपास की पहाड़ियों के बीच से रास्ता बनाया, इससे यह विमान दुश्मन की नजर में नहीं आ पाया। इसके अलावा जीपीएस तकनीक और इन्फ्रारेड थर्मल इमेजिंग का इस्तेमाल किया गया, ताकि पायलट सही से हवाई पट्टी पर विमान को उतार सके।
भारतीय वायुसेना पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी, फुक्चे व न्योमा में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए और बेहतर बना रही है और भारत की इस तैयारी से लाल सेना चिढ़ी हुई है। इसकी पुष्टि चीन के साथ लद्दाख मसले को सुलझाने की खातिर हुई 19वें दौर की बातचीत में शामिल रक्षाधिकारी कर चुके हैं। दरअसल लाल सेना ने इस पर 19वें दौर की बातचीत के दौरान आपत्ति भी जाहिर की थी।
वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि एएलजी को जल्द ही लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए अपग्रेड किया जा रहा है क्योंकि अधिकांश आवश्यक मंजूरी और अनुमोदन पहले ही आ चुके हैं। योजना के अनुसार, नए हवाई क्षेत्र और सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण सीमा सड़क संगठन द्वारा किया जाएगा। इस क्षेत्र से लड़ाकू विमानों के संचालन की क्षमता से वायुसेना की विरोधियों द्वारा किसी भी दुस्साहस से तेजी से निपटने की क्षमता मजबूत होगी।
इस समय पूर्वी लद्दाख में अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के साथ चिनूक हेलीकॉप्टर, गरुड़ व एमआई हेलीकॉप्टर दुश्मन पर कहर बरपाने को तैयार हैं। वायुसेना के अधिकारियों का कहना है कि न्योमा इलाके में वायुसेना के लिए एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बहुत महत्व रखता है। एलएसी के पास होने के कारण यह रणनीतिक रूप से अहम है। इससे लेह से एलएसी तक पहुंचने की दूरी कम हो जाती है। एलएसी तक साजो-सामान व सैनिक पहुंचाना चंद मिनटों का काम है।
भारत पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), फुकचे और न्योमा सहित कई विकल्पों पर विचार कर रहा है, जो चीन के साथ एलएसी से कुछ ही मिनटों की दूरी पर हैं। न्योमा एएलजी से अपाचे के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों, चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों से गरुड़ स्पेशल फोर्स का संचालन भी किया जा रहा है। दरअसल एलएसी के निकट होने के कारण न्योमा एएलजी का सामरिक महत्व है।
यह लेह हवाई क्षेत्र और एलएसी के बीच महत्वपूर्ण अंतर को पाटता है, जो पूर्वी लद्दाख में जवानों और सामग्री की त्वरित आवाजाही को सक्षम बनाता है, जिससे इलाके की कठिनाइयों को पार किया जा सके। वायुसेना ने किसी भी हवाई घुसपैठ से निपटने के लिए न्योमा समेत अन्य हवाई पट्टियों पर इग्ला मैन-पोर्टेबल वायु रक्षा मिसाइलों को भी तैनात किया है।
भारतीय वायुसेना नियमित रूप से पूर्वी लद्दाख में अभियानों को अंजाम देने के लिए राफेल और मिग-29 सहित लड़ाकू विमानों को तैनात किया जा चुका है, जहां कई स्थानों पर दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के तहत सैनिकों को आगे-पीछे किया जा चुका है।