विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने यहां बताया कि भारत ने यह प्रस्ताव नहीं रखा था बल्कि इस बार यह प्रस्ताव 3 देशों- अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से रखा गया था। उन्होंने कहा कि हम यह नहीं मानते कि यह केवल भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ एक वैश्विक मुद्दा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि चीन इस दृष्टिकोण को जरूर समझेगा। (वार्ता)