इस संबंध में उल्लेखनीय है कि मार्च 2014 में ही एनपीए जहां 2,04,249 करोड़ रुपए था, वहीं जून 2017 में बढ़कर यह 8,29,338 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। सिर्फ मोदी के कार्यकाल में एनपीए करीब चार गुना बढ़ चुका है। देश के तमाम बैंक किस कदर एनपीए के जाल में उलझे हैं, इसे देश के 25 बैंकों के एनपीए से समझा जा सकता है। लेकिन एनपीए पर पीएम मोदी संसद में कह चुके हैं कि ये 'पाप' पुरानी सरकार का है।
बैंक - एनपीए (करोड़ रुपए में), भारतीय स्टेट बैंक 1,88,068, पंजाब नेशनल बैंक 57,721, बैंक ऑफ इंडिया 51,019, आईडीबीआई बैंक 50,173, बैंक ऑफ बड़ौदा 46,173, आईसीआईसीआई बैंक 43,148, केनरा बैंक 37,658, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया 37,286, इंडियन ओवरसीज बैंक 35,453, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 31,398, यूको बैंक 25,054, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स 24,409, एक्सिस बैंक लिमिटेड 22,031, कॉरपोरेशन बैंक 21, 713, इलाहाबाद बैंक 21,032, सिंडिकेट बैंक 20,184, आंध्रा बैंक 19,428, बैंक ऑफ महाराष्ट्र 18,049, देना बैंक 12,994, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया 12,165, इंडियन बैंक 9,653, एचडीएफसी बैंक 7,243, विजया बैंक 6,812, पंजाब और सिंध बैंक 6,693, जम्मू व कश्मीर बैंक 5,641 करोड़ रुपए।
अगर एनपीए की तहें खोली जाएं तो देश के कई बैंकों में ऐसे हजारों करोड़ के ऐसे घोटाले सामने आ सकते हैं जो चुनावी मौसम में सरकार की छवि खराब कर सकते हैं, भले ही घोटाले किसी भी दौर में हुए हों। केन्द्र की यह सरकार पल्ला झाड़ लेती है कि यह पिछली सरकारों के पाप हैं लेकिन जो एनपीए मार्च, 2014 के बाद बढ़ा है, क्या उसके बारे में भी मोदीजी का यही जवाब होगा?
इस तरह के घोटाले, फ्रॉड ट्रांजैक्शन सिर्फ पीएनबी ही नहीं बल्कि अन्य बैंकों में भी हुए हैं जिसमें यूनियन बैंक, एसबीआई ओवरसीज बैंक, एक्सिस बैंक और इलाहाबाद बैंक भी शामिल हैं। इसमें यूनियन बैंक में 2300 करोड़, इलाहाबाद बैंक में 2000 करोड़ और एसबीआई (ओवरसीज) में 960 करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ है।