उन्होंने कहा कि अगर हम भविष्य के युद्धों की रूपरेखा की ओर देखें तो जरूरी नहीं कि ये आमने-सामने से लड़े जाएं। हमें साइबर क्षेत्र, अंतरिक्ष, लेजर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और रोबोटिक्स के विकास के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की ओर देखना होगा। रावत ने कहा कि और अगर हम इस बारे में नहीं सोचते तो बहुत देर हो जाएगी।
रावत ने कहा कि भारत हथियारों और गोला-बारूद के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और आजादी के 70 साल बाद भी ऐसा कहना कोई गौरव की बात नहीं है। लेकिन पिछले कुछ सालों में यह स्थिति बदल रही है। डीआरडीओ सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रयासरत है, जो स्वदेशी समाधानों से निकली हों।
यहां डीआरडीओ भवन में आयोजित दो दिवसीय उद्घाटन सत्र में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह विशिष्ट अतिथि थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह तथा डीआरडीओ के प्रमुख जी. सतीश रेड्डी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
उन्होंने दुनिया को बदलने वाली विनाशकारी तकनीकों के पहलुओं पर भी जोर दिया और कहा कि भारत को इसमें नेतृत्व की भूमिका में उभरना होगा। सिंह ने देश को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी प्रणाली पर काम करने की वकालत की। डोभाल ने कहा कि मजबूत और सुरक्षित भारत बनाने के लिए डीआरडीओ की भूमिका बहुत अहम होगी।