झांकी ‘मोहन से महात्मा’ में ‘मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी बनने’ की 1893 की उस घटना को दर्शाया जाएगा जब युवा मोहनदास को दक्षिण अफ्रीका में पीटरमैरिट्सबर्ग रेलवे स्टेशन पर ‘केवल यूरोप के लोगों के लिए आरक्षित’ डिब्बे से नीचे फेंक दिया गया था। इस घटना ने उन्हें ‘सत्याग्रह’ करने के लिए प्ररित करने का काम किया था।
झांकी के सामने वाले हिस्से में एक भाप इंजन दिखाया जाएगा, जिसके शीर्ष पर महात्मा गांधी की एक अर्द्धप्रतिमा लगाई जाएगी। इसके बाद वाले डिब्बे पर गांधीजी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी को लोगों से मिलते दिखाया जाएगा। इसके बाद महात्मा गांधी को ‘हरिजन कोष’ एकत्र करते दिखाया जाएगा। इसके साथ ही इस झांकी में अत्याधुनिक स्टेट आफ दि आर्ट ‘ट्रेन 18’ को दिखाया जाएगा।