यात्रियों को बचाने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल कम किया

रविवार, 20 नवंबर 2016 (20:10 IST)
पुखरायां (कानपुर देहात)। दुर्घटनाग्रस्त इंदौर-पटना एक्सप्रेस के बुरी तरह मुड़े-तुड़े डिब्बों से यात्रियों को बाहर निकालने की खातिर गैस कटर का कम से कम इस्तेमाल किया गया, क्योंकि इनसे काफी गर्मी पैदा होती है और गैस निकलने से दम घुट सकता है।
दुर्घटनास्थल पर कानपुर स्मॉल आर्म्‍स फैक्टरी के अधिकारी पंचरत्न सिंह ने बताया, हमें निर्देश दिया गया है कि इस तरह के गैस कटर का इस्तेमाल कम से कम किया जाए क्योंकि ये स्टील को गला देते हैं और गर्म गैस पैदा करते हैं जिससे दम घुटता है। वह दो गैस कटर के साथ फैक्टरी के आठ से दस वेल्डरों की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं ताकि रेलगाड़ी के अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला जा सके।
 
सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) बोगियों के स्टील फ्रेम को खोलने के लिए ठंडे कटर का इस्तेमाल कर रहा है जिसमें कोच के अंदर का तापमान नहीं बढ़ता है।
 
सिंह ने कहा, बोगियों को जेसीबी मशीन के सहारे हटाया जा रहा है। हमने बोगियों के अंदर कई लोगों को जिंदा देखा है। कोच बुरी तरह टूट चुके हैं, लेकिन बचावकर्मियों ने अंदर फंसे पीड़ितों के चीखने की आवाज सुनी है। एक कोच में सवार आदिल अहमद ने कहा कि रेलगाड़ी उच्च गति से जा रही थी तभी सुबह करीब तीन बजे दुर्घटना हुई जिससे चार बोगियां पलट गईं।
 
उत्तर-मध्य रेलवे के महाप्रबंधक अरुण सक्सेना ने कहा कि रेलगाड़ी के एस 1 और एस 2 कोच को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है क्योंकि दोनों बोगियां एक-दूसरे से टकरा गईं। उन्होंने कहा कि इन दो कोच के टिकट कलेक्टर और कर्मचारियों का भी पता नहीं है। उन्होंने कहा कि थर्ड एसी कोच बीई को भी काफी क्षति पहुंची है।
 
सक्सेना ने बताया कि दो अन्य कोच एस 3 और एस 4 भी पटरी से उतर गईं लेकिन उन्हें गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा है। एक यात्री ने बताया कि तेज झटके से नींद से लोग जाग उठे। उन्होंने कहा, काफी घना अंधेरा था और आवाज काफी तेज थी। उन्होंने कहा कि यह 'लगभग मौत' जैसा अनुभव था। दुर्घटना में सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 200 से ज्यादा जख्मी हुए हैं। (भाषा)

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