उन्होंने कहा कि राकांपा और शिवसेना के ये दो समूह (अजित पवार और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोही समूह) मराठा माणूस के समूह हैं। यह दिल्ली की अदृश्य शक्ति है, जो महाराष्ट्र को नीचा दिखाने के लिए ये सब कर रही है और यही कारण है कि उन्होंने इन दोनों पार्टियों में फूट डाल दी।
उन्होंने कहा कि फॉक्सकॉन-वेदांता सेमीकंडक्टर परियोजना को राज्य से बाहर ले जाया गया, मुंबई से हीरे का कारोबार भी ले जाया गया और किसी ने इसे रोकने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा कि भाजपा, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा की 'ट्रिपल इंजन सरकार' ने विरोध नहीं किया, वह 'अदृश्य शक्ति और आईसीई' (आयकर, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय) के सामने असहाय थी।
सुले ने कहा कि आईसीई का उपयोग करके पार्टियां तोड़ी जा रही हैं, परिवार तोड़े जा रहे हैं। महाराष्ट्र और महाराष्ट्र के नेताओं के महत्व को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। यह केवल राकांपा या शिवसेना तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भाजपा (महाराष्ट्र में) के शीर्ष नेतृत्व का भी कद घटाया जा रहा है। गडकरी के साथ हुए अन्याय को देखिए। 5 साल तक एक सफल मुख्यमंत्री रहे फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बना दिया गया।
बारामती से लोकसभा सदस्य ने पूछा कि राज्य में भाजपा के 105 विधायकों में से कितने को सत्ता या सम्मान का कोई पद मिला? उन्होंने कहा कि वे पीछे रह गए और अन्य लोग सत्ता का आनंद ले रहे हैं। जहां एकनाथ शिंदे ने 2022 में शिवसेना को तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बना ली, वहीं सुले के चचेरे भाई अजित पवार ने राकांपा को तोड़ दिया और इस साल जुलाई में सरकार में शामिल हो गए।