क्या निमिषा ‍प्रिया को बचाने के लिए सरकार मांग रही है 8 करोड़, जानिए दावे का सच

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मंगलवार, 19 अगस्त 2025 (17:36 IST)
Yemen Nimisha Priya case: विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर किए जा रहे उन दावों को मंगलवार को ‘फर्जी’ बताकर खारिज किया, जिनमें यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया से संबंधित मामले में सरकार द्वारा निर्दिष्ट बैंक खाते में ‘मौद्रिक अंशदान’ मांगने की बात कही गई है। निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी कारोबारी साथी की हत्या का दोषी ठहराया गया था।
 
मंत्रालय की फैक्टचेक टीम के ‘एक्स’ हैंडल 'एमईए फैक्टचेक' ने एक ‘एक्स’ उपयोगकर्ता द्वारा किए गए पोस्ट का स्क्रीनशॉट भी साझा किया जिसमें इस तरह के दावे किए गए हैं। उन्नीस अगस्त को उपयोगकर्ता द्वारा किए गए पोस्ट में ‘सेव निमिषा प्रिया’ लिखा एक पोस्टर और कुछ ‘बैंक लेनदेन’ विवरण भी है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि निमिषा प्रिया की मदद के लिए सरकार जनता से 8 करोड़ रुपए की मांग कर रही है। 
 
क्या कहा विदेश मंत्रालय ने : एमईए फैक्टचेक ने पोस्ट किया कि हमने सोशल मीडिया पर निमिषा प्रिया मामले में भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट बैंक खाते में धन जमा करने की मांग के दावे देखे हैं। यह एक फर्जी दावा है। भारत ने एक अगस्त को कहा था कि वह निमिषा प्रिया के मामले में हरसंभव सहायता प्रदान करना जारी रखेगा।
 
केरल में पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे निवासी नर्स को जुलाई 2017 में हुई एक यमनी नागरिक की हत्या की घटना का दोषी पाया गया है। निमिषा (38) की फांसी 16 जुलाई को निर्धारित की गई थी, लेकिन भारतीय अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था। वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में बंद है, जो ईरान समर्थित हुती विद्रोहियों के नियंत्रण में है।
निमिषा को तत्काल कोई खतरा नहीं : हाल ही में निमिषा प्रिया को कानूनी सहयोग दे रहे याचिकाकर्ता संगठन ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के वकील ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ से मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया। वकील ने कहा कि निमिषा को फिलहाल कोई तत्काल खतरा नहीं है। कृपया इसे चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दें। उम्मीद है कि उस समय तक सब कुछ ठीक हो जाएगा। इस पर पीठ ने कहा था कि इस मामले को 8 सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाए। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अगर कोई आवश्यकता हुई तो वह शीर्ष अदालत के समक्ष मामले का उल्लेख करेंगे।
 
याचिकाकर्ता के वकील ने पहले कहा था कि प्रिया की मां पीड़ित परिवार के साथ बातचीत करने के लिए यमन में थीं और वह वहां गई हैं क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से उन्हें यात्रा की अनुमति देने के लिए कहा था। प्रिया को 2017 में दोषी ठहराया गया, 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उसकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई। भारत सरकार की ओर से 17 जुलाई कहा गया था कि वह मामले में ‘परस्पर स्वीकार्य समाधान’ तक पहुंचने के प्रयासों के तहत यमनी अधिकारियों के साथ-साथ कुछ मित्र देशों के संपर्क में है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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