नई दिल्ली। देशभर में चलने वाले 13,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) से प्रशिक्षण पाने वाले 23 लाख छात्रों को जल्द ही केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (आईसीएसई) बोर्ड द्वारा दिए जाने वाले प्रमाण पत्र की तरह ही समान मान्यता वाला प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इस संबंध में एक अलग बोर्ड गठन के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के प्रस्ताव को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है।
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने आज यहां मीडिया से बातचीत में कहा, पहली बार हमने यह तय किया है और मानव संसाधन मंत्रालय ने भी इसे स्वीकार किया है कि हम आईटीआई में प्रशिक्षण पाने वाले सभी 23 लाख छात्रों के लिए सीबीएसई और आईसीएसई की तरह समान मान्यता प्राप्त एक बोर्ड स्थापित करने जा रहे हैं।
मंत्रालय ने आईटीआई की ढांचागत सुविधाओं और पाठ्य सामग्री को नए सिरे से तैयार किया है। मंत्री ने देश में 2.5 प्रतिशत कौशल कार्यबल ही उपलब्ध होने के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के आंकड़े पर कहा कि यह सही नहीं है। उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण में कई क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया है। रूडी ने कहा कि उनका मंत्रालय सेवा क्षेत्र की तरफ बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने पर नजर रखे हुए है, ताकि इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र की मांग पूरी की जा सके।
एक अन्य कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सरकार असंगठित क्षेत्र में शुरुआती कामकाज और रोजगार के अवसरों को पाने को लिए कौशल प्रशिक्षण देने पर भी जोर दे रही है। इसमें विदेशों में ड्राइवर और घरेलू सहायक के काम का प्रशिक्षण भी शामिल है। विदेशों में घरेलू सहायक अथवा ड्राइवर का काम चाहने वालों को वहां के नियम, कानून आदि का ज्ञान होना जरूरी होता है। (भाषा)