फूल दो तरह के थे। पहला सजावटी फूल जैसे शतावरी और गुलबहार और दूसरा, गुलाब एवं सफेद गेंदा जैसे पारंपरिक फूल। आर्मी ट्रक एवं गन-कैरिज को जनाजे के लिए तैयार करने के लिए बहुत जल्दी काम करने, मालाएं बनाने वाले कोयामबेदू मार्केट के एक वरिष्ठ फ्लोरिस्ट वेलु ने कहा कि इस गमगीन मौके के लिए फूलों की पसंद भी उसी के अनुसार होनी चाहिए थी, क्योंकि ऐसा होना बहुत जरूरी होता है।’’
उन्होंने बताया कि मालाएं और अन्य सामान तैयार करने के लिए 2000 किलोग्राम से अधिक फूल इस्तेमाल किए गए। इन मालाओं का उपयोग आर्मी ट्रक, गन कैरेज और जयललिता के स्मारक स्थल पर किया गया। उन्होंने बताया कि बेंगलुरू समेत विभिन्न स्थानों से फूल मंगाए गए थे। उन्होंने कहा कि हम 40 लोग आज सुबह 3 बजे से मालाएं तैयार करने, फूलों को जरूरी आकार देने आदि काम में जुटे रहे। (भाषा)