500 करोड़ का शीशमहल: जगनमोहन रेड्डी का विशाखापटनम में आलीशान ऋषिकोंडा पैलेस क्यों चर्चा में

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 15 मार्च 2025 (13:08 IST)
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, और इस बार वजह है उनका विशाखापटनम के ऋषिकोंडा पहाड़ी पर बना 500 करोड़ रुपये का आलीशान महल। इस भव्य इमारत को लेकर विवादों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। जहां एक तरफ इसे "रुशिकोंडा पैलेस" या "जगन का शीशमहल" कहा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण नियमों के उल्लंघन और सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोपों ने इसे सियासी तूफान का केंद्र बना दिया है।  
 
क्या है ऋषिकोंडा पैलेस? स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह महल विशाखापटनम के समुद्र तट के पास ऋषिकोंडा हिल पर 10 एकड़ में फैला हुआ है। चार बड़े ब्लॉकों में बंटे इस परिसर में सोने की सजावट, इटालियन मार्बल के फर्श, 40 लाख रुपये का बाथटब और 12 लाख रुपये के कमोड जैसे लक्जरी फीचर्स शामिल हैं। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस महल के निर्माण में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए हैं, जिसमें बुनियादी ढांचे जैसे पक्की सड़कें और 100 केवी बिजली सबस्टेशन भी शामिल हैं। 
 
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने आरोप लगाया है कि जगनमोहन रेड्डी ने अपने कार्यकाल में इस महल को गुपचुप तरीके से बनवाया और इसे अपने कैंप ऑफिस के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना थी। टीडीपी प्रवक्ता पट्टाभि राम ने नवभारत टाइम्स को बताया, "यह जनता के पैसे की लूट है। आंध्र प्रदेश की खस्ता वित्तीय हालत में 500 करोड़ रुपये का यह महल शर्मनाक है।"  
 
पर्यावरण और कानूनी उल्लंघन का विवाद: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस महल के निर्माण के लिए पहाड़ी का बड़ा हिस्सा काटा गया, जिससे तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) नियमों का उल्लंघन हुआ। पर्यावरण मंत्रालय ने मई 2021 में इसे पर्यटन परियोजना के तौर पर मंजूरी दी थी, लेकिन टीडीपी का दावा है कि यह निजी इस्तेमाल के लिए बनाया गया। हाईकोर्ट की एक कमेटी ने भी इसमें कई अनियमितताएं पाई थीं, लेकिन निर्माण पर रोक नहीं लगाई गई।  
 
यह महल सिर्फ आंध्र प्रदेश की सियासत तक सीमित नहीं है। भारत की राजधानी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के "शीशमहल" से इसकी तुलना की जा रही है। एक समाचार पत्र के अनुसार "दिल्ली का 47 करोड़ का शीशमहल भूल जाएंगे, जब आप जगन के 500 करोड़ के महल के वीडियो देखेंगे।" विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भारत में नेताओं द्वारा सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का एक और उदाहरण है। राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर सुधांशु त्रिपाठी ने एक पोस्ट में कहा, "दिल्ली में शीशमहल, आंध्र में राजा महल- यह दिखाता है कि सत्ता का दुरुपयोग देशव्यापी समस्या है।"
  
स्थानीय जनता और सियासी प्रतिक्रिया: विशाखापटनम के स्थानीय निवासियों में इस महल को लेकर गुस्सा है। एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि, "जब राज्य कर्ज में डूबा है, तब इतना पैसा बर्बाद करना गलत है।" दूसरी ओर, वाईएसआरसीपी ने दावा किया है कि यह सरकारी संपत्ति है और इसका इस्तेमाल जनता के लिए हो सकता है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और जनता से सुझाव मांगे हैं कि इस महल का भविष्य क्या हो। कुछ लोग इसे पर्यटन स्थल बनाने की बात कह रहे हैं, तो कुछ इसे ध्वस्त करने की मांग कर रहे हैं।  
 
जगनमोहन रेड्डी का यह 500 करोड़ का महल न सिर्फ आंध्र प्रदेश, बल्कि पूरे भारत में चर्चा का विषय बन गया है। यह मामला सत्ता, भ्रष्टाचार और पर्यावरण के सवालों को एक साथ उठाता है। क्या यह महल जनता की सेवा में लगेगा या विवादों में ही दफन हो जाएगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।  

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