चेन्नई/ नई दिल्ली। जल्लीकट्टू से प्रतिबंध हटाने के मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात के बावजूद इस मुद्दे पर कोई सार्थक हल नहीं निकलने के बाद प्रदर्शनकारी नरेन्द्र मोदी पर भड़क गए। बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने मोदी विरोधी रुख अपना लिया है।
मोदी ने गुरुवार को पन्नीरसेल्वम से मुलाकात में दलील दी थी कि मामला कोर्ट में लंबित होने की वजह से वह इस मामले में अध्यादेश नहीं ला सकते, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई से ही इन्कार कर दिया है। मोदी और पन्नीरसेल्वम की मुलाकात के ठीक बाद मोदी की तस्वीर वाले प्लेकार्ड मरीना बीच के प्रदर्शनकारियों के हाथों में नजर आए। प्रदर्शनकारियों ने न केवल मोदी, बल्कि पन्नीरसेल्वम, एआईएडीएमके प्रमुख शशिकला और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस बीच, दिल्ली में भी जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन शुरू हो गया है।
सात समंदर पार भी विरोध के स्वर : जल्लीकट्टू पर प्रदर्शन केवल तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसकी आंच सात समंदर को पार करके अमेरिका तक जा पहुंची है। जल्लीकट्टू को लेकर अमेरिका, लंदन, मेलबोर्न, सिंगापुर, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका और आयरलैंड में भी प्रदर्शन हुए और वहां रह रहे तमिल समुदाय के लोगों ने इस पारंपरिक खेल को बचाने का आहवान किया और विभिन्न तरीकों से अपना विरोध जताया। विदेशों में रहने वाले कुछ तमिल युवाओं ने ट्विटर के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस पारंपरिक खेल को बचाने का आहवान किया है।
आंदोलनों की श्रृंखला में मदुरै केंद्रीय जेल के कैदियों ने जल्लीकट्टू के समर्थन में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। मदुरै में शरणार्थियों के एक विशेष शिविर में रह रहे श्रीलंका के करीब 500 शरणार्थियों ने भी अनशन शुरू कर दिया है। छात्रों के भी हड़ताल में शामिल हो जाने के कारण यहां सभी कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में छुट्टी घोषित कर दी गई। वकीलों ने भी 'सेव जल्लीकट्टू' आंदोलन के समर्थन में अदालती कामकाज का बहिष्कार किया है। इस बीच राज्य के परिवहन ट्रेड यूनियनों, व्यापारी, लॉरी मालिकों, दूध एजेंटो सहित विभिन्न संगठनों ने जल्लीकट्टू पर लगे प्रतिबंध को हटाने तथा पेटा पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग को लेकर छात्रों के प्रदर्शन को समर्थन देते हुए शुक्रवार को हड़ताल का आह्वान किया है।