जम्मू। आतंकी धमकी, अलगाववादियों की चेतावनी और कश्मीर बार एसोसिएशन की सलाह के बावजूद फौज में भर्ती के लिए उमड़ी भीड़ कश्मीर की तस्वीर पलट रही है। सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर के विभिन्न भागों में सैनिकों की भर्ती के लिए कार्यक्रम घोषित करते ही आतंकी छटपटा उठे थे। नतीजतन पहले हिज्बुल मुजाहिदीन ने फौज में जाने के इच्छुक कश्मीरियों को डराना आरंभ किया तो फिर लश्करे तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद और यूनाइटेड जेहाद काउंसिल भी सामने आ गई।
उनका साथ देने हुर्रियती नेताओं और बार एसोसिएशन ने भी मोर्चा खोल दिया। पर यह सब उन कश्मीरी युवकों के कदमों को नहीं रोक पा रहे जिनके सामने बेरोजगारी से निपटने के 2 रास्तों में से एक को चुनना था। ‘या तो वे आतंकवाद की राह पर चल पड़ते या फिर नौकरी के लिए उपलब्ध साधनों को ही थामने का प्रयास करते। सेना प्रवक्ता के मुताबिक, पिछले सप्ताह बारामुल्ला में एकत्र हुई 10 हजार की भीड़ को नियंत्रित कर पाना आसान काम नहीं था, तो कश्मीर के अन्य स्थानों पर भर्ती के लिए एकत्र हुई करीब 30 हजार की भीड़ आतंकियों के मुंह पर थप्पड़ के समान थी।
तो कश्मीर से सबसे खतरनाक माने जाने वाले स्थानीय आतंकी गुट हिज्बुल मुजाहिदीन ने भारतीय सेना में स्थानीय युवकों की भर्ती पर ‘रोक’ लगा दी थी। साथ ही भारतीय सेना में भर्ती होने वाले युवकों को कहा था कि ऐसा करने वाले कौम के दुश्मन होंगे जिनसे बतौर दुश्मन ही निपटा जाएगा, पर इन धमकियों का कोई असर अब नहीं दिख रहा है। यह एकत्र होने वाली भीड़ स्पष्ट करने लगी है। पिछले कुछ समय से जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों में भर्ती अभियान चल रहे हैं। जहां भी भर्ती अभियान होता है वहां चारों ओर भीड़ का अथाह समुद्र नजर आता है।
सेना इससे खुश है। आज से पहले कश्मीर में फौज में भर्ती होने के लिए इतने लोग कभी सामने नहीं आए थे। कारण वही थे कि लोगों को अपनी जान का खतरा था और वैसे भी आतंकवादी कई बार लोगों को फौज में भर्ती होने के प्रयासों के लिए ‘सजाएं’ दे चुके थे। खतरा और डर इस बार भी है। इसमें कोई कमी नहीं आई है। अंतर अगर आया है तो पेट पालने की मजूबरी के प्रति सोच का है। आम कश्मीरी अब समझने लगा है कि अगर वह आतंकी धमकियों के आगे यूं ही झुकता रहा तो उसके भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।
पहले ही रोजगार के साधन नहीं मिल पा रहे और फौज में भर्ती होकर सम्मानजनक जिंदगी जीने का जो मौका मिला है वे उसे गंवाना नहीं चाहते। दूसरे शब्दों में कहें तो बेरोजगारी का दंश आतंकवादी धमकी और चेतावनी पर भारी पड़ रहा है। आम कश्मीरी का मानना है कि आतंकवादी उन्हें सम्मानजनक जिंदगी और रोजगार तो दे नहीं रहे जिस कारण उनकी बात को माना जाए। नतीजतन आने वाले दिनों में भी कश्मीर में होने जा रही फौज की भर्तियों में इसी प्रकार की भीड़ दिखाई देने की उम्मीद सेना को है। हालांकि ताजा भर्ती अभियान कुछ दिनों तक जारी रहेगा।