जम्मू। पुलवामा के ताजा हमले के बाद सारे जम्मू कश्मीर में हाई अलर्ट जारी करने की बात कही गई है पर बावजूद उसके सारा राज्य सहमा हुआ है। विशेषकर प्रसिद्ध धार्मिकस्थलों के आसपास रहने वाले और कश्मीर घाटी के वाशिंदे। धार्मिक स्थलों के एरिया में रहने वालों को आतंकी हमलों की पुनर्रावृत्ति का डर है तो कश्मीर में कार बमों की दहशत चेहरों की हवाइयां उड़ा रही है। दूसरी ओर, जम्मू में चौथे दिन भी कर्फ्यू जारी रहा।
अधिकारियों ने दावा किया है कि पुलवामा के ताजा हमले के बाद सारे राज्य में सतर्कता को बढ़ाया तो गया, लेकिन खुफिया एजेंसियों की खबरों के कारण दहशत फैल रही है। उनका कहना था कि कुछ लोगों द्वारा खुफिया रिपोर्टों को प्रमुखता दिए जाने के बाद लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।
असल में खुफिया रिपोर्टें कहती हैं कि आतंकी जम्मू कश्मीर में भी धार्मिक स्थलों पर हमलों को अंजाम दे सकते हैं। यूं तो रघुनाथ मंदिर पर दो बार आतंकी हमला हो चुका है। वैष्णो देवी गुफा तक आतंकी पहुंचे तो कई बार पर हर बार सुरक्षाबलों को सफलता मिली थी और अब ताजा रिपोर्टों के अनुसार वैष्णो देवी का तीर्थस्थान आतंकी हिट लिस्ट में सबसे ऊपर है।
अधिकारी इसे मानते हैं कि बहुत बड़े भू-भाग में फैले वैष्णो देवी तीर्थस्थल की सुरक्षा कर पाना संभव भी नहीं है। तभी तो तीर्थस्थान के बेस कैम्प कटड़ा में एक बार हथगोले का हमला सात श्रद्धालुओं की जान लील चुका है। चारों ओर पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण आतंकी कई बार शॉर्टकट रास्तों का इस्तेमाल कर गुफा से मात्र एक-डेढ़ किमी की दूरी पर घात लगा चुके हैं। ‘एक करोड़ से अधिक लोगों को सुरक्षा प्रदान कर पाना कितना कठिन काम है, आप बेहतर समझ सकते हैं, ’कटड़ा में तैनात एक वरिष्ठ केरिपुब अधिकारी का कहना था।
ऐसा ही हाल अन्य धार्मिक स्थानों का भी है। जम्मू का रेलवे स्टेशन भी दो हमलों को झेल चुका है। हालांकि लोगों की आस्था कम तो नहीं हुई मगर दहशत और आतंक का साम्राज्य जरूर पुनः फैल रहा है। ऐसा ही साम्राज्य कश्मीर घाटी में प्रतिदिन उस समय फैलता है जब कारों में बमों को लेकर घूमते आतंकवादियों के प्रति खबरें फैलती हैं।
आतंकी हमलों के बाद कश्मीर घाटी परेशान है क्योंकि पुलवामा हमले के बाद ऐसी अफवाहें उड़ रही हैं कि कुछ कारें चोरी चली गई हैं जिनका इस्तेमाल आतंकियों द्वारा कार-बम के रूप में किया जा सकता है। कोई भी इन अफवाहों को हल्के तौर पर इसलिए नहीं लेना चाहता क्योंकि अभी तक कश्मीर 30 सालों में 200 के करीब कार बम हमलों को सहन कर चुका है और इनमें सैंकड़ों की जानें जा चुकी हैं।
हालत तो यह है कि एम्बेसेडर तथा मारुति कारें मौत के परकाले दिखने लगी हैं। और किसी में अगर लाल बत्ती लगी हो तो डर खतरे के निशान से ऊपर इसलिए पहुंच जाता है क्योंकि आतंकवादियों द्वारा कार बमों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अधिकतर कारों पर ऐसी ही लाल बत्तियां नजर आई थीं।
स्थिति नियंत्रण में नहीं कही जा रही है। अधिकारी मानते हैं कि सुरक्षाबलों की कामयाबियों ने आतंकवादियों के जो पांव उखाड़े हैं उन्हें पुनः जमाने के लिए वे एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। और इसी जोर के तहत वे जहां मौका मिले उसे चूकने नहीं देना चाहते।