Jammu encounter news : यह पूरी तरह से सच है कि पिछले 36 महीनों से अर्थात पिछले 3 सालों से LOC से सटे राजौरी व पुंछ के जुड़वा जिले जंग के मैदान में बदल चुके हैं। यह जंग 31 सैनिकों और 12 नागरिकों की जान ले चुकी है।
36 महीनों से जंग के मैदान में बदल चुके दोनों जिलों के हालात के प्रति यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि यह अब सेना के गले की फांस बनने लगे हैं।
दरअसल आतंकी 16 अक्टूबर 2021 को भट्टा दुर्राइं में जिस तरह से एक महीने तक सैनिकों को छकाते रहे हैं ठीक उसी रणनीति को अपनाते हुए वे मई महीने में 29 दिनों तक सैनिकों के संयम की परीक्षा भी ले चुके हैं। इन दोनों जिलों में फैली इस जंग के प्रति यही कहा जा रहा है कि मुकाबला अदृश्य दुश्मन से है।
यह दुश्मन स्थानीय OGW तो हैं ही, एलओसी के पास होने से उस पार से आने वाले विदेशी नागरिक भी हैं जिन पर भी नकेल नहीं कसी जा सकी है। जबकि आतंकी हमलों और नरसंहार की घटनाओं में शामिल सभी आतंकी फिलहाल गिरफ्त से बाहर हैं।
इस साल 6 मई को आतंकियों ने राजौरी के दरहाल में जो हमला किया था उसके बाद आज की शहादत फिर से राजौरी के आतंकवाद के इतिहास में एक खूनी अध्याय जोड़ गई है। इस साल मई महीने की 6 तारीख को करीब 10 महीनों की शांति के उपरांत आतंकियों ने राजौरी के दरहाल में सैनिकों पर हमला बोला तो 5 जवान शहीद हो गए। हालांकि सेना अभी तक इन हमलों में शामिल आतंकियों को न ही पकड़ पाई है और न मार गिराया जा सका है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि यह एक ही गुट का काम था। जिसने फिर से इस साल के पहले महीने की पहली तारीख को ढांगरी में 9 हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया था। इन दोनों जिलों में आतंकियों द्वारा सेना को लगातार निशाना बनाए जाने से सेना की परेशानी सैनिकों के मनोबल को बनाए रखने की हो गई है।
अक्टूबर 2021 के दो हमलों की ही तरह, जिसमें 9 सैनिक मारे गए थे। इस अरसे में 15 सैनिकों को मारने वाले आतंकी स्नाइपर राइफलों और अति आधुनिक हथियारों से लैस होने के साथ ही क्षेत्र से भली भांति परिचित होने वाले बताए जाते रहे हैं।
एक अधिकारी के बकौल, स्थानीय समर्थन के कारण ही वे पुंछ के भाटा धुरियां इलाके से राजौरी के कंडी क्षेत्र तक के 50 से 60 किमी के सफर को पूरा कर रहे थे।
इस साल अप्रैल तथा मई महीने में 17 दिनों में आतंकियों के हाथों 10 जवानों की मौतें राजौरी व पुंछ के एलओसी से सटे इन जुड़वा जिलों में कोई पहली आतंकी घटना नहीं थी। बल्कि 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों ने कश्मीर से इन जुड़वा जिलों की ओर रूख करते हुए पहले सुरनकोट के चमरेर इलाके में 11 अक्टूबर 2020 को पांच सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था।
इस हमले के 5 दिनों के बाद इसी आतंकी गुट ने पुंछ के भट्टा दुराईं इलाके में सैनिकों पर एक और घात लगा कर हमला किया तो 4 सैनिक शहीद हो गए। दोनों हमलों में शहीद होने वालों में 2 सैनिक अधिकारी भी शामिल थे।
राजौरी-पुंछ के जिलों में हुए बड़े आतंकी हमले
वर्ष 2021 में अक्टूबर में 3 बड़े हमले हुए
- 11 अक्टूबर 2021: पुंछ जिले की सुरनकोट तहसील के चामरेर जंगलों में सेना की आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई। इसमें एक अफसर समेत 5 जवान शहीद हुए।
- 16 अक्टूबर 2021: पुंछ की मेंढर तहसील के भट्टा दुरियां इलाके में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई। इसमें एक अन्य अफसर समेत 4 जवान शहीद हुए।
- 30 अक्टूबर 2021: राजौरी के नौशेहरा सेक्टर में माइन ब्लास्ट में एक लेफ्टिनेंट और एक जवान की जान चली गई।
वर्ष 2022: अगस्त और दिसंबर में 2 बड़े हमले
- 11 अगस्त 2022: राजौरी जिले के दरहाल इलाके में परगल आर्मी कैंप पर आतंकियों ने हमला किया। इसमें 5 जवान शहीद हुए जबकि 2 फिदायीनों को सेना ने मार गिराया।
- 18 दिसंबर 2022: राजौरी के अल्फा गेट के बाहर एक आतंकी हमले में 2 नागरिक मारे गए।
वर्ष 2023: इस साल 15 जवान शहीद हुए
- 1 जनवरी 2023: राजौरी के ढांगरी गांव में 2 विदेशी आतंकियों की फायरिंग और एक ब्लास्ट में अल्पसंख्यक समुदाय के 7 लोग मारे गए थे। इनमें 2 नाबालिग थे।
- 20 अप्रैल 2023: पुंछ जिले की मेंढर तहसील के भट्टा दुरियां इलाके में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया, जिसमें सेना के 5 जवान शहीद हो गए जबकि एक जवान घायल हो गया।
- 5 मई 2023: राजौरी के कंडी में आतंकियों ने एक ब्लास्ट किया जिसमें पांच आर्मी पैरा कमांडो शहीद हुए और एक मेजर घायल हो गए।
- 18 जुलाई 2023: पुंछ जिले की सुरनकोट तहसील के सिंधारा टाप इलाके में सुरक्षाबलों ने 4 पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया।
- राजौरी के कालाकोट में सेना के 2 अफसरों समेत 5 सैनिक शहीद। 2 आतंकी ढेर।