उन्होंने कहा, मैंने हमेशा माना है कि भगवान राम एक काल्पनिक व्यक्ति हैं, न कि ऐतिहासिक। मैं ऐसा कहने वाला पहला व्यक्ति नहीं हूं। इसी तरह के विचार राहुल सांकृत्यायन और लोकमान्य तिलक जैसे विद्वानों ने व्यक्त किए हैं, लेकिन चूंकि वे ब्राह्मण थे, इसलिए किसी ने आपत्ति नहीं की। जब मैं कहता हूं तो लोगों को परेशानी होती है।
उन्होंने कहा, अगर हम मिथक के अनुसार भी जाएं तो रावण, राम की तुलना में कर्मकांड अनुष्ठान में अधिक पारंगत है। हमें विचार करना चाहिए कि ऐसा क्यों है कि वाल्मीकि, जिन्हें सबसे पुरानी रामायण लिखने का श्रेय दिया जाता है, कभी भी तुलसीदास (रामचरितमानस के लेखक) की तरह पूजनीय नहीं हैं।
मांझी के बयान से ऐसा माना जा रहा है कि वे राज्य के शिक्षा मंत्री के तर्क से सहमत हैं, जिन्होंने रामचरितमानस के कुछ दोहों की आलोचना करके विवाद खड़ा कर दिया था, जिसमें शूद्रों को कथित रूप से गलत आलोक में चित्रित किया गया है।
मांझी ने यह भी कहा, मेरा मानना है कि रामचरितमानस एक सुंदर साहित्यिक कृति है और इसमें कई अच्छी चीजें हैं, लेकिन इसे उस सामग्री से शुद्ध किया जाना चाहिए, जो सामाजिक भेदभाव की निंदा करती है। रावण, राम की तुलना में कर्मकांड अनुष्ठान में अधिक पारंगत है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)