दरअसल, पिछले कुछ वर्ष का अनुभव यह बताता है कि खंडित जनादेश से स्थाई सरकार बनाना संभव नहीं है। ऐसी पार्टियों का साथ आना जिम्मेदार सरकार बनाने की बजाए सत्ता हासिल करने का प्रयास है। बहुमत के लिए अलग-अलग दावे हैं। राज्य में ऐसी व्यवस्था की उम्र कितनी लंबी होगी इस पर भी संदेह था।