जेएनयू में कुलपति बंधक संकट खत्म, गृहमंत्री ने दिए एसआईटी गठित करने के आदेश

गुरुवार, 20 अक्टूबर 2016 (22:00 IST)
नई दिल्ली। गृहमंत्री राजनाथसिंह ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस को जेएनयू के एक लापता छात्र का पता लगाने के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने का आदेश दिया। उधर, 20 घंटे से अधिक समय तक प्रदर्शनकारी छात्रों के प्रदर्शन के चलते बंधक बने रहने के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति और कुछ अन्य आला अधिकारी अपने कार्यालय से बाहर आ गए।
 
 
 
आंदोलनकारी छात्रों ने कहा कि उन्होंने अपने रुख को नरम नहीं किया है और विश्वविद्यालय के कुलपति एम. जगदीश कुमार और अन्य को अकादमिक काउंसिल की निर्धारित बैठक में हिस्सा लेने के लिए सिर्फ अपने कार्यालय से जाने की अनुमति दी। आंदोलनकारी छात्रों का आरोप है कि जेएनयू प्रशासन लापता छात्र नजीब अहमद का पता लगाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है।
 
लापता छात्र के मुद्दे पर छात्रों के प्रदर्शन के छठे दिन में प्रवेश करने के बीच गृहमंत्री ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह लापता नजीब का पता लगाने के लिए विशेष दल गठित करे, जो जेएनयू के एक हॉस्टल में एबीवीपी समर्थकों के एक समूह के साथ झगड़ा होने के बाद शनिवार से लापता है।
 
छात्रों ने कुलपति और तकरीबन 12 अन्य अधिकारियों को कल अपराह्न से ही प्रशासनिक भवन से बाहर नहीं निकलने दिया। हालांकि मीडियाकर्मियों को भीतर जाने की अनुमति दी गई थी। जेएनयू शिक्षक संघ, जो ज्यादातर मुद्दों पर छात्रों का समर्थक रहा है, उसने कुलपति और अन्य को बंधक बनाने के मुद्दे पर छात्रों की आलोचना की थी। कुलपति ने सुबह छात्रों को अवैध तरीके से उन्हें कैद करने के लिए कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
 
प्रदर्शनकारी छात्रों की आलोचना करते हुए कुलपति ने कहा कि नजीब का पता लगाने के लिए विश्वविद्यालय के अधिकारियों की गंभीरता के बारे में छात्रों को समझाने के लिए कई दौर की बातचीत हुई लेकिन वो अपनी अवैध गतिविधियों को जारी रखे हुए हैं।
 
कुमार ने कार्यालय से बाहर जाने की अनुमति दिए जाने से कुछ घंटे पहले कहा कि यह लोकतांत्रिक तरीके से चलने वाला विश्वविद्यालय है। इसलिए हमारी छात्रों को समझाने के लिए उनके साथ कई दौर की वार्ता हुई ताकि उन्हें समझाया जा सके कि विश्वविद्यालय नजीब अहमद का पता लगाने के लिए गंभीरता से काम कर रहा है। 
 
कुमार ने कहा कि हमने छात्रों को हर तरीके से समझाने का प्रयास किया कि हम नजीब का पता लगाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, वो मान नहीं रहे हैं और इस तरह के अवैध साधनों का सहारा ले रहे हैं। 
 
उन्होंने कहा कि ‘‘हमें इन अवैध तरीकों से बाध्य नहीं किया जा सकता। विश्वविद्यालय को उचित तरीके से चलाया जाना है और शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित नहीं होनी चाहिए। हम एकबार फिर छात्रों से अपील करते हैं कि वो इस तरह की अवैध गतिविधियों का सहारा नहीं लें, जो विश्वविद्यालय को प्रभावित करेगा।’’ 
 
निष्क्रियता के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासन ने लापता छात्र के बारे में पुलिस को लिखा था और विश्वविद्यालय की तरफ से जांच को तेज किया जाएगा और ‘दोषी’ को दंडित किया जाएगा। बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने नजीब का पता लगाने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।
 
इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि कुलपति और अन्य अधिकारियों को कैद करना गलत है। जेएनयू में कुछ छात्र पढ़ने की बजाय राजनीति करने आए हैं। सारी गतिविधियां कानून के दायरे में होनी चाहिए।’’ एक व्यक्ति के अपहरण और गलत तरीके से कैद करके रखने का मामला वसंत कुंज उत्तर थाने में दर्ज किया गया, जब पुलिस को छात्र के अभिभावक से एक शिकायत मिली। 
 
शांतिपूर्ण प्रदर्शन का फैसला : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति और अन्य अधिकारियों का 20 घंटों से ज्यादा समय तक घेराव करने के बाद छात्रों ने विरोध के अपने ‘तरीके’ को बदलने का फैसला किया और लापता छात्र नजीब अहमद का पता लगने तक शांतिपूर्ण आंदोलन की बात की।
 
छात्रों ने कुलपति और अन्य अधिकारियों को दिन में सिर्फ अकादमिक परिषद की बैठक में शामिल होने के लिए जाने दिया। बाद में छात्रों ने घेराव समाप्त करने का फैसला किया। जेएनयूएसयू के एक सदस्य ने कहा कि हमने सर्वदलीय बैठक की और हमने फैसला किया कि अब हम बंधक नहीं बनाएंगे लेकिन अहमद के मिलने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे। 
 
विरोध प्रदर्शन की रणनीति को लेकर छात्रों के समूहों में मतभेद दिखे। परिसर में सक्रिय दो समूहों बीएएसओ और बीएपीएसए की राय अकादमिक परिषद की बैठक के बाद घेराव जारी रखने की थी जबकि आइसा की राय भिन्न थी।
 
छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय के अधिकारियों को बंधक बनाए जाने की विभिन्न तबकों ने आलोचना की। आलोचना करने वालों में जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन भी शामिल था जिसने विगत में विभिन्न मुद्दों पर छात्र संघ का समर्थन किया था।
 
जेएनयू के लापता छात्र की मां बोली- मुझे मेरा बेटा लौटा दो :  शनिवार से लापता छात्र नजीब अहमद की मां ने आज कहा कि उन्हें अपना बेटा वापस चाहिए और आरोप लगाया कि प्रशासन उनके प्रति बहुत ‘असंवेदनशील’ है। जेएनयू प्रशासनिक ब्लॉक के बाहर बैठीं फातिमा नफीस ने रोते हुए कहा कि मुझे मेरा बेटा लौटा दो। मैं किसी के खिलाफ किसी कार्रवाई की मांग नहीं करूंगी। मुझे सिर्फ वह वापस चाहिए और एक बार वह मुझे मिल गया तो मैं चली जाऊंगी।’’ जेएनयू के प्रशासनिक ब्लॉक के बाहर विद्यार्थी पांच दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
फातिमा ने कहा कि प्रशासन ने परिसर से उसके लापता होने की सूचना हमें नहीं दी। मैं आई और खुद पुलिस के पास गई। हम जबरन कुलपति के कार्यालय में घुसे जहां उन्होंने कहा कि वह अपना सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं। वह हमारे प्रति बहुत असंवदनशील रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा न राजनीतिक रूप से सक्रिय है और नहीं किसी से बैर मोल लेने वाला है। मैं इसपर भी यकीन नहीं कर सकती कि उसका किसी झगड़ा हुआ होगा। स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के छात्र नजीब अहमद शुक्रवार की रात झगड़ा होने के बाद शनिवार से परिसर से कथित रूप से लापता है। छात्र के अभिभावकों की शिकायत पर वसंतकुंज उत्तर थाने में कल अपहरण, जबरन बंधक बनाने का मामला दर्ज किया गया है।
 
नजीब की बहन सदाफ मुशर्रफ ने कहा कि मुझे थाने से फोन आया कि एक शव मिला है और हमें पहचान के लिए आना होगा कि क्या वह नजीब का शव है। सौभाग्यवश ऐसा नहीं था। रेक्टर ने मुझे बोला कि कहीं कुछ भी होता है तो उसके लिए वह जिम्मेदार नहीं हैं और कहा कि वह मुझसे अदालत में मिलेंगे।’’ जेएनयू के विद्यार्थी लापता छात्र के परिवार का समर्थन कर रहे हैं और पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कुलपति और विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को प्रशासनिक ब्लॉक में घेर लिया था। (भाषा)
 

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