इंदौर। जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने चेतावनी देते हुए कहा कि इंदौर में ही अगला कार्यक्रम जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के आरोप से चर्चा में आए पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आरएसएस के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने धर्म और जाति के नाम पर देशवासियों को बांटने के खिलाफ और देश को बचाने की जंग का ऐलान किया। कन्हैया ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के साथ ही आर.एस.एस. को भी खुली चुनौती दी कि उन्हें और उनसे जुड़े मुठ्ठीभर युवाओं को रोक सको तो रोक लो।
कन्हैया आनंद मोहन माथुर सभाग्रह में 'हमारे समय की चुनौतियां और हमारी भूमिका' विषय पर संबोधित कर रहे थे। हिन्दूवादी संगठनों के तमाम विरोध के बावजूद पुलिस प्रशासन की कड़ी सुरक्षा और लाठीचार्ज के बाद उनका कार्यक्रम हो पाया।
'भगतसिंह दीवाने ब्रिगेड' के बुलावे पर इंदौर आए जेएनयू छात्र नेता बुधवार को इंदौर आए। यहाँ पुलिस प्रशासन की कड़ी सुरक्षा के बीच आनंद मोहन माथुर सभागृह में उनका कार्यक्रम हुआ। इस दौरान एआईवायएफ और एआईएसएफ व्दारा निकाली जा रही लांग मार्च के कार्यकर्ताओं का भी स्वागत किया।
कन्हैया ने कहा की आज आजाद भारत में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है....लेकिन सरकार अपने खिलाफ एक भी शब्द सुनने का साहस नहीं रखती...इसिलिए कुछ भाड़े को लोगों को भेजकर उन्हें डराने और मुंह काला करने की धमकी दी जाती है लेकिन हमारी रगो में लाल रंग है.. और हम काली कालिख से नही डरते।
उन्होंने कहा कि इस देश में हमें सरकार से सवाल पूछने से कोई नहीं रोक सकता...जहाँ गलत होगा, हम सवाल पूछेंगे और सरकार को जबाव देना होगा। आज केन्द्र में राज्य में शहर में सब जगह आपकी सरकार है,फिर भी हम इंदौर के प्रोग्रम में है। देश से संविधान निर्माता बाबा साहेब आम्बेडकर ने जो अधिकार हर इंसान को दिए, ये उस संविधान को सरकार बदल नहीं
कन्हैया ने प्रदेश सरकार की तुलना कुत्ते से कर डाली...
कन्हैया ने कहा कि कुत्ते को घी नहीं पचता हमारे यहाँ.. सत्ता में आये है अपने रंग दिखा रहे है।..हम भारत के लोग है.. आरएसएस का कौनसा व्यक्ति है जो फाँसी पर चढ़ा, बता दीजिये। कन्हैया ने वीर सावरकर और नाथूराम गोडसे की विचारधारा को अपनाने वाली आरएसएस को भी जमकर आड़े हाथ लिया। साथ ही राम के नाम पर गाय के नाम पर फैलाई जा रही अराजकता को भी सरकार की कायरता का परिणाम बताया।
कन्हैया ने कहा कि हम देश को तोड़ने का प्रयास नहीं, बल्कि देश बचाने का काम कर रहे है। देश तोड़ने का काम संसद में हो रहा है। सच बोलने का केवल साहस किया है, सवाल पूछा है। वो हम से इतने डरे है कि देश के लोगों को ही कभी आतंकवादी कभी देशद्रोही कभी पाकिस्तानी बताते है।
कन्हैया के मुताबिक उन्होंने जेएनयू में कभी भी देश विरोध नारे नहीं लगाए। सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन कोर्ट के सामने वे इस बात को साबित नहीं कर पाए कि वहाँ कोई देश विरोध नारे लगाए गए।
जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने कहा 'हम सीना ठोंक के कहते है कि जेएनयू में नारे लगते है...लेकिन देश विरोधी नहीं...बल्कि देश को जोड़ने और कमजोरों की आवाज उठाने के लिए नारे लगाए जाते है...जब रोहित बैमूला के साथ गलत होता है तब नारे लगते है, जब जुबीन के साथ गलत होता है तब नारे लगते है...जब किसान के साथ गलत होता है तब नारे लगते है...जब बेकसूरों पर जुल्म होता है तब नारे लगते है...और आगे भी लगते रहेंगे।'
आनंद मोहन माथुर
कार्यक्रम में मौजूद भगत सिंह दीवाने ब्रिगेड के संयोजक आनंद मोहन माथुर ने कहा कि देश और राज्य की भाजपा सरकार दमकारीनीति अपनाकर अपना खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाना चाहती है, लेकिन भगतसिंह दीवानों की ब्रिगेड ऐसे कमजोर की आवाज बनकर सरकार को दमनकारी नीति अपनाने से हर मोर्चे पर रोकेगी।
उन्होंने कहा कि आजादी से पहले अंग्रेज भी इस प्रकार की दमनकारी नीति अपनाते थे, अब गोरे अंग्रेज चले गए हैं, और काले अंग्रेज देश में दमनकारी नीति अपना रहे है। इसके खिलाफ उनकी लड़ाई है। यदि इनके खिलाफ आवाज उठाना देशद्रोह है, तो हम ये देशद्रोह का आरोप झेलने के लिए तैयार है।
कार्यक्रम के बाद कन्हैया ने एक बार फिर इंदौर में आजादी के लिए आवाज उठाई....और सरकार व्दारा अपनाई जा रही आम जनता विरोधी नीति का विरोध किया। इस पूरे कार्यक्रम पर विरोध करने वालों का भी साया मंडराता रहा, जिसके चलते भारी पुलिस बल हॉल के अंदर से लेकर बाहर तक तैनात रहा। कन्हैया के यहाँ से बाहर निकलने के बाद ही पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली।
क्या है कार्यक्रम : स्टूडेंट फेडरेशन ने 15 जुलाई से सद्भावना यात्रा (लांग मार्च) शुरू की है। यह यात्रा तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात होते हुए मध्यप्रदेश में भी सफर तय करेगी। यात्रा आज यानी बुधवार को इंदौर पहुंची है। इसी यात्रा में कन्हैया कुमार भी शामिल हैं। यात्रा का उद्देश्य लोगों में सांप्रदायिक सद्भाव, एकता और समानता की भावना जगाना है। यात्रा भारत-पाक सीमा के आखिरी गांव हुसैनीवाला में 12 सितंबर को खत्म होगी।