15 गोली लगी, हाथ टूटा, फिर भी फतह की टाइगर हिल

मंगलवार, 26 जुलाई 2016 (16:51 IST)
नई दिल्ली। पूरे देश में आज 17वीं कारगिल दिवस मनाया जा रहा है। आज की तारीख कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सेना की शानदार जीत की गवाह है। भारतीय सेना के जांबाजों ने जान की आहुति देकर पाकिस्तानी सेना  और उसके सहयोगी आतंकियों को कारगिल से खदेड़ दिया था।
भारतीय सेना पर जितना गर्व किया जाए, उतना कम है। ऐसे ही एक वीर और परमवीर चक्र विजेता ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव के अदम्य साहस का किस्सा केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट किया है, जो वायरल हो गया है। 
 
उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि 'घातक' कमांडो पलटन के सदस्य ग्रेनेडियर यादव को टाइगर हिल के बेहद महत्वपूर्ण तीन बंकरों पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ग्रेनेडियर यादव ने खुद आगे बढ़कर यह दायित्व संभाला था। 
 
योगेन्द्र सिंह ने सबसे पहले पहाड़ चढ़कर अपने पीछे आती टुकड़ी के रास्ता बनाया था और कुशलता से चढ़ते हुए कमांडो टुकड़ी गंतव्य के निकट पहुंची ही थी कि दुश्मन ने मशीनगन, आरपीजी और ग्रेनेड से हमला बोल दिया जिसमें भारतीय टुकड़ी के अधिकांश जवान शहीद हो गए या तितर-बितर हो गए। योगेन्द्र सिंह यादव को तीन गोलियां लगीं।
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जनरल सिंह ने आगे लिखा कि पहाड़ के ऊपर पहुंचने के बाद दुश्मन की भारी गोलीबारी ने उनका स्वागत किया।अपनी दिशा में आती गोलियों को अनदेखा ग्रेनेडियर यादव एक जख्मी शेर की तरह दुश्मनों पर टूट पड़े। गोलीबारी के बीच पहले बंकर की तरफ धावा बोल दिया। 
उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए उसी बंकर में छलांग लगा दी जहां मशीनगन को 4 सदस्यों का आतंकी दल चला रहा था। मौत को चकमा देकर बंकर में ग्रेनेड फेंक कर यादव ने दुश्मनों को मौत की नींद सुला दिया। ग्रेनेडियर यादव की साथी टुकड़ी जब उनके पास पहुंची तो उसने पाया कि यादव का एक हाथ टूट चुका था और करीब 15 गोलियां लग चुकी थीं।  ग्रेनेडियर यादव ने साथियों को आखिरी बंकर पर हमले के लिए ललकारा और बेल्ट से अपना टूटा हाथ बांधकर धावा बोल दिया। उन्होंने साथियों के साथ आखिरी बंकर पर हमला बोलकर विजय प्राप्त की। 
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ग्रेनेडियर यादव को परमवीर चक्र दिए जाने से संबंधित एक बेहद दिलचस्प किस्सा है। उसके बारे में भी जनरल वीके सिंह ने बताया। वीके सिंह ने कहा कि विषम परिस्थितियों मे अदम्य साहस, जुझारूपन और दृढ़ संकल्प के साथ उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया। समस्या बस यह थी कि ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव इस अविश्वसनीय युद्ध में जीवित बच गए थे और उन्हें अपने मरणोपरांत पुरस्कार का समाचार अस्पताल के बिस्तर पर ठीक होते हुए मिला। विजय दिवस पर ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव जैसे महावीरों को मेरा सलाम जिन्होंने कारगिल युद्ध में भारत की विजय सुनिश्चित की।

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