उन्होंने कहा कि उनकी अध्यक्षता में गठित लीगल एड समिति में भारत और पाकिस्तान के नामी-गिरामी वकील हैं और इन्होंने दोनों देशों की जेलों में बंद कैदियों को नि:शुल्क कानूनी सलाह दी है और उनकी ओर से दायर याचिकाओं पर संज्ञान लेते हुए भारतीय उच्चतम न्यायालय ने लगभग 700 कैदियों को रिहा कर इन्हें पाकिस्तान को सौंपा हैं।