लांस नायक नजीर अहमद वानी को अशोक चक्र, पिछले वर्ष हुए थे शहीद
गुरुवार, 24 जनवरी 2019 (21:10 IST)
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में मरते दम तक आतंकवादियों से लोहा लेते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सेना के लांस नायक नजीर अहमद वानी को शांति काल के सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गणतंत्र दिवस परेड से पहले राजपथ पर बने सलामी मंच पर सेना के रणबांकुरे लांस नायक वानी की पत्नी महजबीं को अशोक चक्र प्रदान करेंगे। वे जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के चेकी अश्मुजी के रहने वाले थे। यह पहला मौका है जब जम्मू कश्मीर के किसी व्यक्ति को अशोक चक्र से सम्मानित किया जाएगा।
सेना को गत 25 नवंबर को कश्मीर के हीरापुर गांव के एक मकान में 6 हथियारबंद आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। सेना की जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री के लांस नायक वानी और उनकी टीम को इन आतंकवादियों के खिलाफ अभियान की जिम्मेदारी दी गई।
लांस नायक वानी ने आतंकवादियों की गोलियों की बौछार की परवाह किए बिना उनके साथ आमने-सामने का मुकाबला किया और एक के बाद एक दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया।
इस दौरान उन्हें कई गोलियां लगी जिनमें से एक गोली उनके माथे पर लगी जिससे वे बुरी तरह जख्मी हो गए, लेकिन उन्होंने असाधारण साहस का परिचय देते हुए एक और आतंकवादी को घायल कर दिया और साथ ही अपने साथियों को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान अत्यधिक खून बह जाने से उन्होंने कर्तव्य की वेदी पर दम तोड़ दिया।
लांस नायक वानी को उनकी असाधारण वीरता और अदम्य साहस के लिए शांतिकाल के सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र से पुरस्कृत किया जाएगा। लांस नायक वानी के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटे अतहर (20) और शाहिद (18) हैं।
लांस नायक वानी 2004 में सेना की जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री में भर्ती हुए थे। वे चाहते थे कि उनके जम्मू कश्मीर में सामान्य और शांतिपूर्ण स्थिति बनी रहे। उनकी निडरता और वीरता का प्रमाण इस बात से मिलता है कि उन्हें 2007 और 2018 में वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया था।
गत वर्ष भी उन्होंने आमने सामने की लड़ाई में एक आतंकवादी को ढेर कर दिया था। वे जोखिम भरे अभियानों से कभी पीछे नहीं हटे और आगे बढकर इन अभियानों में देश के दुश्मनों से लोहा लिया।
लांस नायक वानी अपने गांव और समाज के वंचित वर्ग के लोगों की भलाई के कामों से भी पीछे नहीं हटते थे। वे हमेशा गांवों की समस्याओं के समाधान के लिए काम करते थे। वे राज्य के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत रहेंगे।