फिलहाल कांग्रेस के इस आरोप पर भाजपा और अनिल अंबानी के समूह की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। बहरहाल, राफेल मामले में कांग्रेस की ओर से पहले लगाए गए आरोपों को सरकार एवं अनिल अंबानी समूह ने सिरे से खारिज कर दिया था।
उन्होंने कहा कि वे 23 मार्च 2015 को पेरिस जाकर वहां के रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से मिलते हैं। उस वक्त ऑफसेट साझेदार एचएएल थी। बाद में मोदीजी जाते हैं और सौदे को बदल देते हैं। 21 सितंबर 2018 को फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद कहते हैं कि हमारे पास अनिल अंबानी के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
सुरजेवाला ने दावा किया कि 2017-18 में डबल ए की कंपनी में दसाल्ट ने 284 करोड़ रुपए डाल दिए। उन्होंने कहा कि नई कड़ी है कि रिलायंस अटलांटिक फ्लैग फ्रांस की स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस गलोबल कॉम बरमूडा में पंजीकृत है। फ्रांस में रिलायंस अटलांटिक फ्लैग से 15 करोड़ यूरो के कर की मांग हुई। सुरजेवाला ने कहा कि 10 अप्रैल 2015 को मोदी फ्रांस जाते हैं और 36 विमान खरीदने का सौदा करते हैं। इसके कुछ दिन बाद ही 14 करोड़ यूरो से अधिक का कर माफ कर दिया जाता है।
उन्होंने दावा किया कि यह मोदीजी की कृपा है। मोदीजी की कृपा जिस पर हो जाए, उसका कुछ भी सकता है। मोदी है, तो मुमकिन है। फ्रांस के अखबार के हवाले से आईं खबरों के मुताबिक फरवरी और अक्टूबर 2015 के बीच जब फ्रांस भारत के साथ राफेल सौदे पर बातचीत कर रहा था, उस दौरान अनिल अंबानी की कंपनी को फ्रांस में 143 करोड़ यूरो की कर छूट मिली। गौरतलब है कि अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस अप्रैल 2015 में फ्रांस के साथ हुए समझौते के तहत भारत के राफेल सौदे में एक ऑफसेट साझेदार है। (भाषा)