-विशेष संवाददाता उत्तर प्रदेश हमेशा से ही भारतीय राजनीति का एपीसेंटर माना गया है। लगातार निशाने पर आ रही भाजपा ने लोकसभा चुनावों में अपनी स्थिति बरकरार रखने के लिए एक बार फिर से हिंदुत्व का पुराना दांव चलने की तैयारी कर ली है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और योगी आदित्यनाथ अब भाजपा को चुनावों के पहले आने वाले कुंभ के जरिए हिंदुत्व के मुद्दे पर फायदा दिलाने के लिए तत्पर हैं। गुरु पूर्णिमा के मौके पर इलाहाबाद पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि संपूर्ण उत्तर भारत में हिंदुत्व आधारित राजनीति का संकेत दिया है।
हालांकि अमित शाह का प्रयाग दौरा पूरी तरह से धार्मिक रहा और उन्होंने पूरा समय संतों के सानिध्य में मंदिरों में पूजन-अर्चन कर बिताया। जूना अखाड़ा के मौजगिरी आश्रम में योग सिद्धि ध्यान केंद्र का शिलान्यास करने से लेकर अमित शाह ने लेटे हनुमान मंदिर में दर्शन के बाद कुंभ मेले के निर्विघ्न रूप से संपन्न होने के लिए पूजा अर्चना की।
इस दौरान शाह ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में संतों ने उनके सामने गोहत्या पर पाबंदी, गंगा व यमुना की निर्मलता, राम मंदिर निर्माण जैसे मुद्दे उठाए। जिस पर अमित शाह ने सहमति देते हुए सभी मुद्दों पर भाजपा द्वारा समर्थन की बात कही। बैठक के दौरान अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि महाराज और महासचिव हरि गिरि महाराज भी मौजूद थे। दूसरी ओर इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
प्रयाग कुंभ भाजपा के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कुंभ चुनाव से ठीक पहले फरवरी 2019 में शुरू होगा। अत: भाजपा दुनिया के इस सबसे बड़े आयोजन का राजनीतिक फायदा उठाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। कुंभ के कारण साधु-संत भी एक ही स्थान पर मिल जाएंगे। इससे भाजपा को जनसमर्थन जुटाने में भी आसानी होगी।
बताया जा रहा है कि इसी के चलते उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी देशभर के श्रद्धालुओं को कुंभ में आने का न्योता भेजने की तैयारी कर ली है। जिससे आने वाले लोकसभा चुनावों के पहले हिंदुत्व की लहर का फायदा भाजपा को मिल सकता है। गौरतलब है कि योगी यूपी के मुख्यमंत्री के साथ ही नाथ संप्रदाय के प्रमुख मठ गोरख मठ के मुखिया भी हैं। अत: नाथ संप्रदाय के सभी संत-महंत और आमजन उनका बहुत सम्मान करते हैं। (इलेक्शन डेस्क)