नायडू ने कहा कि सरकार इसे (तीन बार तलाक कहने को) एक धार्मिक मामला नहीं मानती है। यह लैंगिक संवदेनशीलता का मामला है। यह कहना गलत है कि हम मुस्लिम मुद्दों में हस्तक्षेप कर रहे हैं तथा उसी भारतीय संसद, उसकी राजनीतिक प्रणाली द्वारा हिन्दू संहिता विधेयक, तलाक कानून, दहेज निषेध, सती प्रथा निषेध कानून पारित किए। ये सब भारतीय संसद द्वारा किया गया।
उन्होंने कहा कि हम अभी समान नागरिक संहिता की बात नहीं कर रहे हैं। विधि आयोग ने एक प्रश्नावली जारी की है तथा लोगों की प्रतिक्रिया मांगी है तथा व्यापक आम सहमति के बिना आप समान नागरिक संहिता नागरिक संहिता नहीं ला सकते। आपको इस दिशा में काम करना होगा और आगे बढ़ना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि उच्चतम न्यायालय तीन बार तलाक कहने के मुद्दे पर सही दिशा दिखाएगा। (भाषा)