मां की एक झलक पाने एवं खजाने से एक सिक्का लेने के लिए हजारों लोग रविवार शाम से ही कतारों में खड़े होने लगे थे। मंदिर में दर्शन के लिए गोदौलिया से दशाश्वमेध घाट के रास्ते पर भक्तों की कतारें लगी रहीं। व्यवस्था बनाए रखने के लिए बैरिकेडिंग की गई और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिसकर्मी कड़ी सुरक्षा निगरानी कर रहे हैं।
मान्यता है कि करीब 300 वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। वैसे तो यह मंदिर सालभर हीखुलता और अन्य देवी-देवताओं के दर्शन श्रद्धालु करते हैं, लेकिन मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक सिर्फ 4 दिनों के लिए ही होते हैं।
श्रद्धालुओं का विश्वास है कि आशीर्वादस्वरूप मिले सिक्के खजाने में रखने एवं उसकी पूजा करने से सालोंभर धन एवं अन्न की कोई कमी नहीं होती है। यही वजह है कि सिक्के पाने के लिए दूरदराज से लाखों स्त्री-पुरुष भक्त हर साल यहां आते हैं। वे घंटों कतारों में खड़े होने में परेशानी महसूस नहीं करते बल्कि वे अपना सौभाग्य समझते हैं।