पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, 'यह दिखलाता है कि भारतीय लोग बहुत अधिक धैर्यवान हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि गुस्सा नहीं है। आपातकाल के दौरान आम तौर पर ऐसी धारणा बनी थी कि नसबंदी लोगों पर थोपी गई है। कहीं भी गलियों में प्रदर्शन नहीं हुआ..लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया।'
चिदंबरम ने एक सत्र के दौरान कहा, 'नसबंदी को लेकर गुस्से के बारे में जो अनुमान लगाया गया था, वह सच था। लोगों का गुस्सा जायज था और उन्होंने उचित समय पर उसका इजहार भी किया। किसी भी एक मुद्दे पर किसी चुनाव में जनमत संग्रह नहीं हो सकता।'(भाषा)