उड़ी का बदला लेने के लिए सरकार ने पाक को उसी की भाषा में जवाब देने का निश्चय किया। इस बारे में दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक हुई। इसमें तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग और डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को जवाबी कार्रवाई के तौर पर सभी सैन्य विकल्पों के बारे में जानकारी दी।
23 सितंबर की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रायसीना हिल के साउथ ब्लॉक स्थित भारतीय सेना के टॉप सीक्रेट वॉर रूम में पहुंचे। सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और अजीत डोभाल ने भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की योजना और आगे की कार्रवाई के बारे में उन्हें जानकारी दी।
इसके बाद स्ट्राइक होने तक सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और इंटेलीजेंस एजेंसियों ने अपने मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर दिए। उनकी जितनी भी मीटिंग्स हुईं, वे अत्यंत गोपनीय ढंग से हुईं। इन बैठकों में जाने के लिए वे बिना यूनिफॉर्म और बिना स्टाफ कार के पहुंचते थे। ये सभी बैठकें रायसीना हिल्स से दूर अज्ञात स्थानों होती थीं।
इसके बाद आर्मी की स्पेशल फोर्सेज की 4 और 9 पैरा बटालियन्स के कमांडिंग ऑफिसर्स को उनके आगामी मिशन के बारे में बताया गया। उनसे अपने सबसे बेहतरीन जवानों को चुनने को कहा। पैरा के टीम लीडर मेजर माइक टैंगो को उनके सीओ ने अभियान सफल करने पर उनकी पसंदीदा व्हिस्की की बोतल पिलाने का वादा किया और शुभकामनाएं दी।
एमआई-17 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर्स ने कमांडोज और उनके उपकरणों को एलओसी के पास अग्रिम क्षेत्रों में पहुंचाना शुरू कर दिया गया। उनसे वहां अगले आदेश का वेट करने के लिए कहा गया। 6 बिहार और 10 डोगरा बटालियन्स को भी अपने घातक कमांडोज को निर्णायक ऑपरेशन के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया। इनकी घातक टीम को एलओसी के पास लॉन्च लोकेशन्स पर स्ट्राइक फोर्स को ज्वाइन करने के ऑर्डर मिले।
28-29 सितंबर की मध्य रात्रि को ऑपरेशन शुरू हुआ। एलओसी के पार सेना के ये कमांडो पैदल ही अंधेरे में अदृश्य हो गए। पैदल पहुंचने के कारण इन कमांडो की ना तो पाकिस्तानी रडार और ना ही हवा में पूर्व चेतावनी देने वाला एयरक्राफ्ट कोई टोह ले सका।
इनके अलावा 30 पैरा कमांडो को काफी ऊंचाई पर खुलने वाले विशेष हाहो पैराशूट्स से उतारा गया। ये पैराट्रूपर्स करीब 35,000 फीट की ऊंचाई से कूदे ताकि पाकिस्तानी रडार उन्हें पकड़ ना पाएं। इन कमांडोज ने तेजी और पूरे कोआर्डिनेशन के साथ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया।
वापसी में उन्होंने लंबा रास्ता तय किया और भारत की सीमा पार करते ही एक चीता हेलिकॉप्टर, टैंगो को 15 कोर के मुख्यालय ले गया। वहां उनके सीओ ने उन्हें गले लगा लिया। जनरल ने अपना वादा निभाते हुए वेटर को व्हिस्की लाने को कहा। वेटर एक ट्रे में ब्लैक लेबेल व्हिस्की भरे कुछ ग्लास ले कर आया।
जनरल ने कहा कि ग्लास वापस ले जाओ। सीधे बोतल लाओ, तुम्हें पता नहीं कि ये लोग गिलास खा जाते हैं। ये सही भी है क्योंकि स्पेशल फ़ोर्स के कमांडोज़ को गिलास खाने की ट्रेनिंग दी जाती है।
वेटर तुरंत ब्लैक लेबेल की बोतल ले आया। जनरल दुआ ने बोतल अपने हाथ में ली और टैंगो से अपना मुंह खोलने के लिए कहा। वो तब तक टैंगो के मुंह में व्हिस्की डालते रहे जब तक उन्होंने बस नहीं कह दिया। मेजर माइक टैंगो को इस वीरता के लिए कीर्ति चक्र से नवाजा गया।