major stampede incidents in India : बेंगलुरू में 18 साल के इन्तजार के बाद RCB को मिली जीत के विजय जुलूस में हुई भगदड़ से 11 लोगों की जान चली गई। इस हादसे ने जश्न को मातम में बदल दिया, लेकिन भगदड़ की यह कोई अकेली घटना नहीं है। इससे पहले भी ऐसे कई हादसे देश में हो चुके हैं। ये घटनाएं न सिर्फ लोगों को झकझोर देती हैं, बल्कि भीड़ प्रबंधन (Crowd Management) पर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं। आइए, देश में हुई कुछ बड़ी भगदड़ की घटनाओं पर नज़र डालें और उनकी मुख्य वजहों को समझने की कोशिश करें।
भगदड़ के दर्दनाक हादसे जब बिछ गईं लाशें
भारत में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब बड़ी संख्या में लोग धार्मिक स्थलों या आयोजनों में पहुंचे और भगदड़ का शिकार हुए:
• तिरुपति बालाजी, आंध्र प्रदेश (जनवरी 2025): तिरुपति मंदिर में मुफ्त दर्शन के पास के लिए भगदड़ में 6 लोग मारे गए और 30 से अधिक घायल हुए।
• महाकुंभ प्रयाग (29 जनवरी 2025): मौनी अमावस्या पर पवित्र स्नान के लिए संगम नोज पर लाखों तीर्थयात्रियों की भीड़ के कारण भगदड़ मची। इस घटना में कम से कम 30 लोगों की मौत की पुष्टि की गई ।
• हाथरस, उत्तर प्रदेश (2 जुलाई 2024): हाथरस में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ में कई लोगों की जान चली गई।
• वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू-कश्मीर (1 जनवरी 2022): नए साल के पहले दिन माता वैष्णो देवी मंदिर में हुई भगदड़ में 12 भक्तों की मौत हो गई थी, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया।
• नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (15 फरवरी 2022): दिल्ली के मुख्य रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज कुम्भ की भीड़ के कारण एक दुखद घटना हुई थी।
• राजामुंदरी, आंध्र प्रदेश (14 जुलाई 2015): गोदावरी पुष्करम के दौरान राजामुंदरी में हुई भगदड़ में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
• रतनगढ़ मंदिर, मध्य प्रदेश (13 अक्टूबर 2013): मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मंदिर के पास पुल टूटने की अफवाह से मची भगदड़ में 115 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
• पटना, बिहार (19 नवंबर 2012): छठ पूजा के दौरान पटना के गांधी घाट पर हुई भगदड़ में 20 लोग मारे गए।
• हर की पौड़ी घाट, हरिद्वार (8 नवंबर 2011): हरिद्वार के प्रसिद्ध हर की पौड़ी घाट पर गंगा स्नान के दौरान भगदड़ मची थी।
• चामुंडा देवी मंदिर, राजस्थान (सितंबर 2008): जोधपुर के चामुंडा देवी मंदिर में नवरात्रि के दौरान भगदड़ मची, जिसमें 200 से ज़्यादा भक्तों ने जान गंवाई।
• नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश (2008): हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में भी एक भगदड़ में 162 श्रद्धालु मारे गए थे।
• मंदार देवी मंदिर, महाराष्ट्र (जनवरी 2005): महाराष्ट्र के मंदार देवी मंदिर में हुई भगदड़ में 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जो देश की सबसे भीषण त्रासदियों में से एक है।
• कुंभ मेला नासिक, महाराष्ट्र (27 अगस्त 2003): नासिक कुंभ में भी भगदड़ के कारण 39 लोग मारे गए और लगभग 140 घायल हुए ।
क्यों होती हैं ऐसी घटनाएं
इन भगदड़ की घटनाओं के पीछे कई कारण होते हैं:
1. भीड़ का अनियंत्रित होना: सबसे बड़ी वजह अत्यधिक भीड़ का अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाना और उसे नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था का न होना।
2. संकीर्ण रास्ते और निकास: मंदिरों, स्टेशनों या घाटों पर अक्सर प्रवेश और निकास द्वार संकीर्ण होते हैं, जिससे भीड़ निकलने में बाधा आती है।
3. अराजकता और अफवाहें: अचानक शोर या किसी अफवाह के फैलने से लोग घबरा जाते हैं और भागने लगते हैं, जिससे भगदड़ मच जाती है।
4. अपर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और स्वयंसेवकों की कमी, या उनके प्रशिक्षण में कमी।
5. ढांचागत कमी: मजबूत बैरिकेडिंग, आपातकालीन निकास मार्गों की कमी, या उनकी स्पष्ट पहचान न होना।
6. जागरूकता का अभाव: आयोजकों और जनता दोनों में भीड़ प्रबंधन नियमों के प्रति जागरूकता की कमी।
7. अचानक आई बाधा: जैसे सीढ़ी का टूटना या बिजली आपूर्ति में बाधा।