पर्रिकर ने कहा कि क्योंकि पानी के भीतर गहराई में जा सकने वाले पोत दरअसल तब तक तलाश नहीं कर सकते, जब तक आपके पास कोई निश्चित छोटा क्षेत्र नहीं हो। इसीलिए पिछली बार (डोर्नियर दुर्घटना) पनडुब्बी ने स्थल की पहचान की थी और इसके बाद हमने इसे (गहरे पानी में काम करने वाला रिलायंस का पोत) भेजा था। यह पहले पहचान होने के बाद द्वितीय चरण का अभियान है। (भाषा)