अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल ने 13 व्यक्तियों को उम्रकैद की सजा सुनाई जिन्हें पहले हत्या का दोषी ठहराया गया था। जिन 18 अन्य पूर्व कर्मचारियो को हिंसा, दंगा फैलाने और हत्या की कोशिश जैसे अपराधों में दोषी ठहराया गया, उनमें से चार को पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई। चौहद अन्य दोषियों को 2500 रुपए के जुर्माने के बाद रिहा कर दिया जाएगा।
अदालत ने कहा कि ये 14 कैद की सजा काट चुके हैं क्योंकि वे साढ़े चार साल सलाखों के पीछे रह चुके हैं और यह दंड काफी है। जिन 13 व्यक्तियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। वे यूनियन के अध्यक्ष राममेहर, संदीप ढिल्लो, रामबिलास, सरबजीत सिंह, पवन कुमार, सोहन कुमार, प्रदीप कुमार, अजमेर सिंह, जिया लाल, अमरजीत, धनराज भाम्बी, योगेश कुमार और प्रदीप गुज्जर हैं।
पहले अदालत ने 10 मार्च को 31 कर्मचारियों को दोषी ठहराया था और 117 को बरी कर दिया था। तेरह कर्मचारी हत्या के जुर्म में दोषी ठहराये गये थे जबकि बाकी 18 को हिंसा, दंगा करने और अन्य अपराधों के लिए मुजरिम करार दिया गया था। एक कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होने पर अगस्त, 2012 में संयंत्र में हिंसा फैल गई थी।