जम्मू कश्मीर में 8वीं बार लागू होगा राज्यपाल का शासन

सुरेश एस डुग्गर

मंगलवार, 19 जून 2018 (17:44 IST)
जम्मू। मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद जम्मू कश्मीर में आजादी के बाद 8वीं बार राज्यपाल का शासन अर्थात गर्वनर रूल लागू होगा। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर का अपना संविधान होने के कारण सीधे राष्ट्रपति शासन लागू नहीं होता है और पहले छह महीनों के लिए गवर्नर रूल लागू किया जाता है।
 
जम्मू कश्मीर के इतिहास में 2 नवम्बर 2002 को दूसरा अवसर था, जब लोकतांत्रिक सरकार के गठन की खातिर राज्यपाल शासन को हटाया गया था। तब 17 दिन पुराने राज्यपाल शासन को 2 नवम्बर 2002 को उस समय हटाया गया था जब गठबंधन सरकार ने शपथ ली थी।
 
हालांकि इससे पूर्व 1977 में जुलाई महीने में उस समय राज्यपाल शासन को कुछ दिनों के बाद हटाया गया था जब शेख अब्दुल्ला सरकार ने शपथ ली थी। इससे पहले 19 जनवरी 1990 को लागू किया गया राज्यपाल शासन तो पौने 7 साल तक चला था।
 
चौथी बार राज्यपाल शासन इसलिए लागू करना पड़ा था क्योंकि राज्यपाल गिरीश चन्द्र सक्सेना के पास इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था क्योंकि उनके विकल्प पूरी तरह से सीमित थे। हालांकि राज्य को इस संवैधानिक संकट से बचने की खातिर वे अंतिम समय तक प्रयास करते रहे परंतु सभी अड़ियल रूख अपनाए हुए थे।
 
पहले राज्यपाल ने चार दिनों का अतिरिक्त समय देकर राजनीतिक दलों को यह अवसर प्रदान किया कि वे राज्य में नई सरकार बनाने की खातिर दावा पेश करें। उनके लिए यह बहुत बड़ा संवैधानिक संकट था जिससे निकलने की खातिर उन्होंने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया था। तब भी पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने यह कहकर नया संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया था कि वे कार्यवाहक मुख्यमंत्री नहीं बने रहने चाहते।
 
हालांकि यह कोई पहला अवसर नहीं है कि राज्य में राज्यपाल शासन लागू होगा बल्कि 21 साल पूर्व भी राज्य एक रिकॉर्ड राष्ट्रपति शासन के दौर से बाहर निकला था। असल में 1990 के आरंभ में तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने फारूक सरकार को बर्खास्त कर राज्य में 19 जनवरी 1990 को राज्यपाल शासन लागू कर दिया था।
 
जानकारी के लिए राज्य में भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत सीधे राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया जा सकता। अतः उसके स्थान पर राज्यपाल आप ही जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल कर राज्यपाल का शासन लागू कर सकते हैं। राज्य में प्रथम छमाही में इसे राज्यपाल का शासन कहा जाता है और बाद में इसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है।
 
1990 में लागू राष्ट्रपति शासन ने एक नया रिकॉर्ड बनाया था। तकरीबन पौने सात साल सालों तक यह राज्य में लागू रहा था। यह सिर्फ राज्य का ही नहीं बल्कि देश का भी अपने किस्म का नया रिकॉर्ड था कि इतनी लम्बी अवधि के लिए किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा हो।
 
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह प्रथम अवसर था कि जब राज्य में इतनी लम्बी अवधि के लिए राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। इससे पूर्व वर्ष 1977 में मार्च महीने में राज्य में उस समय प्रथम बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था जब कांग्रेस ने तत्कालीन शेख अब्दुल्ला की सरकार से अपना समर्थन वापस लिया था।

 
लेकिन, तब राज्यपाल शासन के छह माह भी पूरे नहीं हुए थे कि राज्य में चुनाव करवा दिए गए थे क्योंकि तब आतंकवाद की कोई बात नहीं थी। फिर दूसरी बार 1986 में फरवरी माह में राज्य में प्रथम बार होने वाले साम्प्रदायिक दंगों की स्थिति पर तत्कालीन मुख्यमंत्री जीएम शाह की सरकार से कांग्रेस द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण राज्य में राज्यपाल शासन लागू किया गया जिसकी अवधि आठ माह थी।

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