खाद्य मंत्री ने संसद के बाहर कहा, 'यह विचार मेरे व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर आया है। जब हम खाना खाने के लिए बाहर जाते हैं तो हम ढेर सारा खाना बर्बाद होते देखते हैं। हमारे देश में ऐसे लोग हैं जिन्हें भोजन नहीं मिलता है।'
उन्होंने कहा कि सरकार भोजन की मात्रा तय नहीं करती है जो होटलों और रेस्तराओं को तय करने की जरूरत है। उनका कहना है कि, 'हम बस उनसे यह निर्धारित करने को कह रहे हैं कि आप (थाली में) कितनी रोटी, इडली या चिकन पीस देंगे।'