6 राज्यों में 13 केस आए सामने, सबसे ज्यादा गुजरात में : HMPV के देश में कुल 13 मामले सामने आ गए हैं। इनमें से सबसे ज्यादा गुजरात में 4 केस हैं। अब तक यह 6 राज्यों में पसर चुका है और बच्चों को अपना निशाना बना रहा है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि यह इतना घातक नहीं है, जितना कोरोना था, यह सामान्य सर्दी- खांसी की तरह बताया जा रहा है। लेकिन बावजूद इसके इसके लिए तैयारी जरूरी है। वेबदुनिया ने जाना कि आखिर मध्यप्रदेश का सबसे बडा और स्वच्छ शहर इंदौर HMPV वायरस को लेकर कितना तैयार है।
कोरोना के समय इंदौर में जो भयावह हालात हो गए थे, उन्हें कोई नहीं भुला सका है। तब ऑक्सीजन का शॉर्टेज और रेमेडिसिवर जैसी दवाइयों के लिए मारामारी ने पूरे हेल्थ सिस्टम की कमर तोड दी थी। अब HMPV वायरस के इस नए खतरे को लेकर कहीं फिर से वैसे ही हालात न बन जाए, इसे लेकर जानिए कितना तैयार है हमारा इंदौर और इंदौर का हेल्थ सिस्टम।
क्या है जांच की व्यवसथा :सीएमएचओ डॉ बीएल सेथिया ने बताया कि अभी हमारे पास इसे लेकर कोई गाइड लाइन नहीं आई है। क्योंकि यह वायरस इतना घातक नहीं बताया जा रहा है। हालांकि हम पहले से इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि एमटीएच और एमआरटीवी (एमवाय अस्पताल) में जांच की व्यवस्था है। महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में आरटीपीसीआर की व्यवस्था है।
ऑक्सीजन की क्या स्थिति : सीएमएचओ डॉ सेथिया के मुताबिक इंदौर में ऑक्सीजन के 65 से 66 प्लांट हैं। इनमें प्राइवेट और सरकारी दोनों अस्पतालों के ऑक्सीजन प्लांट शामिल हैं। बता दें कि कोराना संक्रमण के दौरान इंदौर में इन प्लांट की व्यवस्था की गई थी। अगर इस तरह की कोई स्थिति बनती है तो इन ऑक्सीजन प्लांट का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कहां कहां है ऑक्सीजन की सुविधा : एमवाय अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी, चाचा नेहरू, कैंसर अस्पताल, एमटीएच, एमआरटीबी आदि में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं।
इंदौर में बैड और किट की सुविधा : इंदौर के अस्पतालों में अगर पलंग की सुविधा की बात करें तो सीएमएचओ डॉ बीएल सेथिया ने बताया कि हमने शहर में कोरोना के समय 11 हजार बेड की व्यवस्था की थी। उन्होंने बताया कि पलंग की व्यवस्था काफी है। इसमें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी। उन्होंने बताया कि हालांकि अभी किट नहीं है, लेकिन अगर वैसी कोई स्थिति बनती है तो किट भी आ जाएगी। कोई समस्या नहीं है।
जांच और रिपोर्ट की व्यवस्था : डॉक्टरों के मुताबिक अभी एम्स भोपाल और जबलपुर में जांच हो रही है। इंदौर में सरकारी अस्पताल में जांच की सुविधा नहीं है, अभी सिर्फ प्राइवेट में जांच हो रही है। वहीं, इसकी रिपोर्ट दो दिन में आ रही है।
बहुत माइल्ड है HMPV वायरस : कोकिलाबेन अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट विशेषज्ञ डॉ रवि दोषी ने बताया कि हाल ही एक गाइडलाइन आई है। जिसमें कहा गया है कि वायरस फिलहाल इतना माइल्ड है कि इसके लिए अलग से आइसोलेशन वार्ड की भी जरूरत नहीं होगी। उन्होंने बताया कि अब तक इसे माइल्ड ही माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि बचाव ही इसका एक उपाय है। इसका कोई इलाज नहीं है। बुखार की दवाएं लेकर और मरीज को आराम करने देना चाहिए। इसके अलावा कोरोना के नियम जैसे मास्क और सोशल डिस्टेंस आदि फॉलो करना होगा। उन्होंने बताया कि वायरस से डरना नहीं है, लेकिन संभलना भी जरूरी है।
ज्यादा घातक नहीं है HMPV वायरस : एमजीएम इंदौर के पूर्व डीन और संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ संजय दीक्षित ने वेबदुनिया को बताया कि HMPV वायरस उतना घातक नहीं है, जितना कोरोना था। इसमें सामान्य सर्दी खांसी और कुछ हद तक बुखार होता है। इलाज कराने पर ठीक हो जाता है।