भारत में 23 करोड़ से ज्यादा लोग घोर गरीब, UNDP की रिपोर्ट में खुलासा

More than 23 crore poor people in India: भारत दुनिया के उन 5 देशों में है जहां सबसे अधिक संख्या में लोग घोर गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम रिपोर्ट (United Nations Development Program report) में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में करीब 1.1 अरब लोग घोर गरीबी में जिंदगी बसर कर रहे हैं और इनमें से भी आधे नाबालिग हैं। भारत में 23 करोड़ से ज्यादा लोग अब भी घोर गरीबी में जीवन बिता रहे हैं। वहीं, नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के 9 सालों में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। 
 
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) एवं ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (OPHI) द्वारा बृहस्पतिवार को बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) जारी की गई। इसमें कहा गया है कि दुनिया में 1.1 अरब लोग घोर गरीबी में जी रहे हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत लोग युद्ध, नाजुक स्थिति या कम शांति वाले देशों में रह रहे हैं।
 
भारत में पाकिस्तान से ज्यादा गरीब : रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 23.4 करोड़ लोग घोर गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं, जिसे मध्यम मानव विकास सूचकांक में रखा गया है। भारत उन 5 देशों में है जहां पर घोर गरीबी में जीवनयापन करने वालों की संख्या सबसे अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अलावा अन्य चार देश पाकिस्तान (9.3 करोड़), इथियोपिया (8.6 करोड़), नाइजीरिया (7.4 करोड़) और कांगो (6.6 करोड़) हैं, जिन्हें निम्न मानव विकास सूचकांक में रखा गया है।
 
दुनिया के आधे गरीब इन देशों में : रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया में घोर गरीबी में जीवन यापन करने वाले 1.1 अरब लोगों में करीब आधे (48.1 प्रतिशत) इन 5 देशों में निवास करते हैं। इसमें कहा गया कि दुनिया में 45.5 करोड़ गरीब लोग ऐसे देशों में रहते हैं जो हिंसक संघर्षों से ग्रस्त हैं, जिससे गरीबी कम करने की दिशा में कड़ी मेहनत से की गई प्रगति में बाधा उत्पन्न हो रही है, यहां तक ​​कि इससे प्रगति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
 
यूएनडीपी प्रशासक अचिम स्टीनर ने कहा कि हाल के वर्षों में संघर्ष तेज हुए हैं और कई गुना बढ़ गए हैं, हताहतों की संख्या की संख्या भी नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई है, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, तथा जीवन और आजीविका में व्यापक व्यवधान उत्पन्न हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे अनुंसधान के मुताबिक बहुआयामी गरीबी में रहने वाले 1.1 अरब लोगों में से लगभग आधे हिंसक संघर्ष वाले देशों में रहते हैं।
 
गरीबी का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर : रिपोर्ट के मुताबिक 1.1 अरब गरीब लोगों में से आधे से ज्यादा (58.4 करोड़) 18 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। वैश्विक स्तर पर, 27.9 प्रतिशत बच्चे गरीबी में रहते हैं, जबकि वयस्कों में यह प्रतिशत 13.5 है। रिपोर्ट के मुताबिक घोर गरीबी में जीवन यापन करने वाले 1.1 अरब लोगों में से 82.8 करोड़ के पास पर्याप्त स्वच्छता, 88.6 करोड़ के पास आवास और 99.8 करोड़ के पास खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का अभाव है और इनमें से आधे से अधिक यानी 63.7 करोड़ अपने घर में कुपोषित व्यक्ति के साथ रहते हैं।
 
इसमें कहा गया कि दक्षिण एशिया में 27.2 करोड़ गरीब ऐसे घरों में रहते हैं, जहां कम से कम एक व्यक्ति कुपोषित है तथा उप-सहारा अफ्रीका में यह संख्या 25.6 करोड़ है। रिपोर्ट के मुताबिक घोर गरीबी में रहने वाले करीब 83.7 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। दुनिया भर के सभी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की तुलना में अधिक गरीब हैं। वैश्विक स्तर पर ग्रामीण आबादी में गरीबी का स्तर 28.0 प्रतिशत है जबकि शहरी आबादी में यह स्तर मात्र 6.6 प्रतिशत है।
 
युद्धग्रस्त और अशांत इलाकों में बुरे हालात : रिपोर्ट के मुताबिक 1.1 अरब गरीबों में से 21.8 करोड़ (19.0 प्रतिशत) युद्ध प्रभावित देशों में रहते हैं। वहीं करीब 40 प्रतिशत गरीब यानी 45.5 करोड़ युद्ध, अस्थिर और/या कम शांति वाले देशों में रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबी की दर राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग है। युद्ध प्रभावित देशों में गरीबी की दर जहां 34.8 प्रतिशत है जबकि युद्ध या छोटे-मोटे संघर्षों से अप्रभावित देशों में यह दर मात्र 10.9 प्रतिशत है।
 
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफोर्ड 2010 से ही हर साल बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी कर रहे हैं, जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर सहित 10 संकेतकों को आधार बनाया जाता है। इस साल के सूचकांक में दुनिया के 112 देशों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, जिनमें दुनिया की 6.3 अरब आबादी निवास करती है।
 
क्या कहती है नीति आयोग की रिपोर्ट : वहीं, नीति आयोग की इस वर्ष की शुरुआत में जारी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 9 सालों में मोदी सरकार के कार्यकाल में तकरीबन 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। मोदी सरकार की योजनाओं की वजह से गरीबों का जीवन आसान हुआ है और जीवन स्तर भी बेहतर हुआ है।
 
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 9 वर्षों में करीब 25 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए हैं। 2013-14 से 2022-23 के बीच देश के 24.82 करोड़ लोग को गरीबी की परिधि से बाहर आए। 2005-06 से 2015-16 की अवधि की तुलना में 2015-16 से 2019-21 में गरीबी में तेज गिरावट दर्ज की गई। साल 2005-15 में गरीबी की वार्षिक गिरावट 7.69% थी, जो साल 2016-21 में बढ़कर 10.66% वार्षिक गिरावट हो गई। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala  (फाइल फोटो)
  

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