Atiq Ahmed: तांगे वाले के बेटे से लेकर सांसद-विधायक और यूपी के सबसे बड़े माफिया तक, ये है अतीक अहमद के गुनाहों की पूरी सूची

गुरुवार, 13 अप्रैल 2023 (15:00 IST)
हाल ही में उमेश पाल की हत्‍या के बाद उत्‍तर प्रदेश के माफिया अतीक अहमद खबरों में बना हुआ है।  उमेश पाल हत्‍याकांड के बाद यूपी में एक बार फिर से अपराध कथाओं को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। यूपी की योगी सरकार ने डॉन और माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए अभियान छेड़ दिया है।  गैंगस्टर अतीक अहमद को प्रयागराज की नैनी जेल लाया गया। अतीक को कल कोर्ट में पेश कया जाएगा। जहां उसके गुनाहों पर फैसला होगा। जेल की सुरक्षा को भी बढ़ा दिया गया है।

आखिर कौन है ये अतीक अहमद और कैसे एक गरीब तांगे वाले का यह बेटा विधायक और सासंद से लेकर यूपी का सबसे बड़ा माफिया बन गया। कैसे उसके अपराध की यह फेहरिस्‍त इतनी लंबी हो गई।

17 की उम्र में हत्‍या के आरोप से शुरु हुआ अपराध : अतीक के गुनाहों की सूची भी लंबी है तो सियासत में उसकी उपलब्‍धियां भी कम नहीं हैं। वो विधायक और सांसद रहने के साथ ही यूपी में आतंक का दूसरा नाम भी है। गैंगस्‍टर, हिस्ट्रीशीटर अतीक 5 बार विधायक और एक बार उस फूलपुर सीट से सांसद भी रहा है।  उसके ऊपर खिलाफ 100 से ज़्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसका आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाईकोर्ट के करीब 10 जजों ने उसके उपर लगे मुकदमों की सुनवाई से इनकार कर दिया था। महज 17 साल की उम्र में पहली बार हत्‍या के आरोप के साथ शुरू हुआ था अतीक के गुनाह का काला कारमनामा लेकिन राजू पाल की हत्‍या के बाद उसके पतन की शुरुआत हो गई।

तांगे वाले के बेटा बना सबसे बड़ा डॉन : अतीक एक तांगे वाले का अनपढ़ बेटा है। लेकिन पैसों की जरुरत उसे अपराध की दुनिया में ले आई। उसे पता था कि अपराध को पोसने के लिए उसे सियासत का भी सहारा लेना होगा। उसने अपराध को ही अपना धर्म बना लिया। अतीक को गुनाहों की दुनिया इतनी पसंद आ गई है कि उसने अपने पूरे परिवार को इसमें लिप्‍त कर लिया। अलग अलग अपराधों में अतीक गुजरात की साबरमती जेल में बंद है तो छोटा भाई अशरफ यूपी की बरेली जेल में है। बड़ा बेटा उमर लखनऊ जेल में कैद है तो दूसरा बेटा अली अहमद प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में सजा काट रहा है। तीसरे बेटे असद पर उमेश पाल शूटआउट केस में ढाई लाख रुपए का इनाम है तो वहीं अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन फरार हैं। एहजम और आबान नाम के दो नाबालिग बेटे बाल संरक्षण गृह में हैं।

विरासत में मिला अपराध : दरअसल, अतीक अहमद के पिता हाजी फिरोज भी आपराधि था। वो तांगा चलाता था। हाजी फिरोज की माली हालत ऐसी नहीं थी कि वह अतीक समेत अपनी दूसरी औलादों को बेहतर तालीम दिला सके। इसलिए बेटा अतीक भी जुर्म की दुनिया में उतर गया। अतीक के खिलाफ 1983 में पहली एफआईआर दर्ज हुई। उस वक्त उसकी उम्र 17 या 18 साल थी।

यूपी की राजनीति ने बना डाला माफिया : दरअसल अतीक के माफिया बनने की सबसे बड़ी वजह यूपी की सियायत है। किसी जमाने में यहां राजनीति और अपराध का चोली दामन का साथ रहा है। इसी दौरान अतीक के आतंक का उदय हुआ। दरअसल, 90 के दशक में क्षेत्रीय पार्टियां अपने मकसदों को साधने के लिए अपराधियों को ही सत्ता में भागीदार बना दिया करती थी। लेकिन बाद में ये अपराधी इतने बड़े हो गए कि उन पर कोई लगाम नहीं रही। अतीक अहमद वही बेलगाम अपराधी है। सियासी छत्रछाया में अतीक गैंग्‍स्‍टर, हिसट्रीशीटर, माफिया और डॉन बन गया।

एनकाउंटर से बचने राजनीति का सहारा : पूरे यूपी की नाक में दम कर देने वाले अतीक ने इतने अपराध किए कि एक समय में उस पर पुलिस इनकाउंटर का साया मंडराने लगा। एनकाउंटर से बचने के लिए अतीक ने 1989 में हुए यूपी के विधानसभा चुनावों में इलाहाबाद वेस्ट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ा और वो विधायक बन गया। 1989 के इस चुनाव में तत्कालीन पार्षद और अतीक जैसा ही अपराधी चांद बाबा भी मैदान में उतरा था। लेकिन अतीक ने उसे अपने गुर्गों के साथ मिलकर गोलियों से भून दिया। इसके बाद वह इलाहाबाद सिटी वेस्ट की इसी सीट से 1991, 1993, 1996 और 2002 में भी लगातार जीत हासिल करता रहा। पहला दो चुनाव वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीता। तीसरे चुनाव में भी वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ही मैदान में उतरा, लेकिन सपा-बसपा गठबंधन ने उसे अपना समर्थन दिया और उसके खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा किया। 1996 में वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुना गया तो 2002 में डॉ सोनेलाल पटेल के अपना दल से। 2002 के चुनाव के समय वह अपना दल का प्रदेश अध्यक्ष बना था। 2004 में फिर से सपा में न सिर्फ उसकी वापसी हुई, बल्कि वह मुलायम सिंह की पार्टी से उस फूलपुर से सांसद चुना गया। यह सीट पर देश के पूर्व प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू की हुआ करती थी।

राजूपाल हत्याकांड बना तबाही की वजह : 25 जनवरी साल 2005 को प्रयागराज में शहर के धूमनगंज इलाके में विधायक राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या कर दी गईं। विधायक राजू पाल की हत्या का आरोप अतीक और अशरफ पर लगा। इस मामले में दोनों भाइयों को जेल भी जाना पड़ा। दरसअल, साल 2007 के चुनाव में अशरफ और 2012 में अतीक को हार का सामना करना पड़ा था। राजू पाल की हत्या का आरोप अतीक के साम्राज्‍य के लिए तबाही बन गई।

अतीक का अपराधी परिवार : अतीक का छोटा भाई पूर्व सपा विधायक अशरफ इन दिनों यूपी की बरेली जेल में बंद है। 2020 में उसे गिरफ्तार किया था। अशरफ पर कई सालों तक एक लाख रुपए का इनाम घोषित था। दो नाबालिग छोटे बेटों को छोड़कर अतीक के बाकी तीनों बेटों के खिलाफ भी क्रिमिनल केस दर्ज हैं। सबसे बड़ा बेटा उमर लखनऊ तो दूसरे नंबर का अली अहमद प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में कैद है। बड़े बेटे उमर ने लखनऊ में सरेंडर किया था। दूसरे बेटे अली ने पांच करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के मामले में पिछले साल जुलाई महीने में प्रयागराज कोर्ट में सरेंडर किया था। तीसरा बेटा असद उमेश पाल शूट आउट केस में मोस्ट वांटेड है।

योगी राज में मिले मिट्टी में : सीएम योगी आदित्‍यनाथ के राज में अतीक और उसके गुर्गों के साथ ही तमाम करीबियों के खिलाफ भी बड़ी कार्रवाइयां की गई हैं। उमेश पाल शूट आउट केस के बाद जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अतीक की गैंग पर कुल 144 कार्रवाइयां की गई। 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 22 करीबियों की हिस्ट्रीशीट खोली गई। 14 लोगों के खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई की गई। 68 शस्त्र लाइसेंस रद्द किए गए। दो लोगों को जिला बदर किया गया। गैंगस्टर एक्ट के तहत 415 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई। 751 करोड़ रुपए की अवैध सम्पत्तियों को ध्वस्त किया गया। ठेके-टेंडर और दूसरे अवैध कामों पर 1200 करोड़ रुपए से ज्‍यादा की चोट की गई।
Edited by navin rangiyal

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