बेमौसम वर्षा से कृषि को नुकसान, सांसद चिंतित

गुरुवार, 19 मार्च 2015 (14:34 IST)
नई दिल्ली। देश के विभिन्न भागों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण गेहूं, तिलहन एवं बागवानी फसलों को हुई भारी क्षति पर गुरुवार को विभिन्न दलों के नेताओं ने गहरी चिंता जताते हुए प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा एवं फौरी राहत दिलाने के लिए विभिन्न सुझाव दिए।
 
किसानों के प्रति सहानुभूति जताते हुए सरकार ने कहा कि कृषि विभाग ने प्रत्येक प्रभावित राज्य में नुकसान का आकलन करने के लिए टीमें गठित की हैं और केंद्र के तीनों कृषिमंत्री गुरुवार से राज्यों का दौरा शुरू करेंगे।
 
राज्यसभा में गुरुवार को इस मुद्दे पर हुई चर्चा में सभी दलों के नेताओं ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों पर बरसे प्रकृति के कहर को लेकर भारी चिंता जताई। इन नेताओं ने किसानों को फौरन मुआवजा दिलाने, उनके ऋणों के भुगतान को निलंबित करने, कर्ज के ब्याज को माफ करने, स्थिति से निबटने के बारे में सुझाव देने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने आदि जैसे सुझाव दिए।
 
इस बारे में सरकार का पक्ष रखते हुए सदन के नेता एवं वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फसलों को क्षति पहुंची है। इससे किसानों को जो नुकसान हुआ, केंद्र की उनसे पूरी हमदर्दी है।
 
उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि इस समस्या से निबटने के लिए केंद्र प्रशासनिक एवं अन्य आवश्यक कदम उठाएगा। उन्होंने कहा कि नुकसान के बारे में सभी प्रभावित राज्यों से अभी तक आकलन नहीं मिल पाया है।
 
जेटली ने कहा कि नुकसान के आकलन के लिए कृषि विभाग टीमें गठित कर रहा है। इसके अलावा गुरुवार से केंद्र के तीनों कृषि मंत्री (एक कैबिनेट एवं दो राज्यमंत्री) प्रभावित राज्यों का दौरा शुरू करेंगे।
 
उन्होंने कहा कि राकांपा प्रमुख शरद पवार एवं अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने समस्या से निबटने के लिए जो सुझाव दिए हैं, सरकार उन पर विचार करेगी और राज्यों से तालमेल बैठाकर सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
 
वित्तमंत्री ने उत्तरप्रदेश के कुछ सदस्यों द्वारा मु्द्दा उठाए जाने पर कहा कि राज्य को पिछले साल सूखे के लिए केंद्र द्वारा 777 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं।
 
इससे पहले गुरुवार को उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि कई सदस्यों ने नियम 267 के तहत कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर इस मुद्दे पर चर्चा करवाने को कहा है। उन्होंने कहा कि इस वजह से गुरुवार को सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा होगी।
 
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा पंजाब, राजस्थान, बिहार, गुजरात एवं महाराष्ट्र में बेमौसम की वर्षा और ओलावृष्टि के कारण खड़ी फसलें चौपट हो गई हैं।
 
उन्होंने कहा कि फसलों को हुए नुकसान का निष्पक्ष आकलन किया जाए और मुआवजे का भ्रष्टाचार मुक्त वितरण किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा किसानों के लिए वित्तीय पैकेज की जल्द से जल्द घोषणा की जाए।
 
जदयू के केसी त्यागी ने कहा कि इस प्राकृतिक कहर के 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की फसल तबाह हो गई है जबकि बीमा कंपनियों का आकलन है कि 1,000 करोड़ से अधिक का नुकसान नहीं हुआ है।
 
त्यागी ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग शासनकाल में नुकसान के आकलन एवं फौरन राहत की घोषणा के लिए मंत्रियों का एक समूह हुआ करता था। 
 
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने ऐसे सभी पैनलों को भंग कर दिया है। उन्होंने मांग की कि नुकसान का आकलन करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया जाए जिसकी अध्यक्षता यदि वित्तमंत्री अरुण जेटली करें तो बेहतर रहेगा।
 
बसपा प्रमुख मायावाती ने कहा कि देश के किसानों के लिए दो बड़ी चिंताजनक बातें हुई हैं। सरकार के मौजूदा भूमि विधेयक को लेकर किसानों को बहुत चिंता है। उन्होंने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि 2013 का भूमि अधिग्रहण कानून को ही बरकरार रखना चाहिए।
 
मायावती ने बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि की चर्चा करते हुए कहा कि इससे तीन-चौथाई खड़ी फसलें चौपट हो गई हैं और नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों से विचार-विमर्श कर किसानों को मुआवजा दिलवाया जाना चाहिए।
 
सपा के रामगोपाल यादव ने उत्तर एवं पश्चिमी भारत में फसलों को पहुंचे भारी नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश में तो अपनी बर्बाद फसलों को देखकर हार्ट फेल होने के कारण कई किसानों की मौत हो गई।
 
उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों के राहत के लिए 200 करोड़ रुपए की राहत की घोषणा की है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को हस्तक्षेप कर संकट से निबटने के लिए मदद देनी चाहिए।
 
माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दावा किया था कि वे देश के लिए नसीब वाले साबित हुए हैं, लेकिन देश को अब कृषि संकट का सामना करना पड़ रहा है।
 
उन्होंने कहा कि एक ओर चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 17 हजार करोड़ रुपए का बकाया है वहीं पश्चिम बंगाल में फसल चौपट होने के कारण आलू उत्पादक किसान आत्महत्या कर रहे हैं। (भाषा) 
 

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