मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में कहा कि पिछले 15 दिन, महीने से, लगातार अखबार हो, टीवी चैनल हो, सोशल मीडिया हो, वर्तमान सरकार के 3 वर्ष का लेखा-जोखा चल रहा है। 3 साल पूर्व आपने मुझे प्रधान सेवक का दायित्व दिया था। ढेर सारे सर्वे हुए हैं, ढेर सारी रायशुमारी आई हैं।
उन्होंने कहा कि मैं इस सारी प्रक्रिया को बहुत ही स्वस्थ संकेत के रूप में देखता हूं। हर कसौटी पर इस 3 साल के कार्यकाल को कसा गया है। समाज के हर तबके के लोगों ने उसका विश्लेषण किया है और लोकतंत्र में एक उत्तम प्रक्रिया है और मेरा स्पष्ट मानना है कि लोकतंत्र में सरकारों को जवाबदेह होना चाहिए, जनता-जनार्दन को अपने काम का हिसाब देना चाहिए।
मैं उन सब लोगों का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने समय निकाल करके हमारे काम की गहराई से विवेचना की, कहीं सराहना हुई, कहीं समर्थन आया, कहीं कमियां निकाली गईं, मैं इन सब बातों का बहुत महत्व समझता हूं। मैं उन लोगों को भी धन्यवाद देता हूं जिन्होंने आलोचनात्मक और महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएं दी हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो त्रुटियां होती हैं, कमियां होती हैं, वे भी जब उजागर होती हैं तो उससे भी सुधार करने का अवसर मिलता है। बात अच्छी हो, कम अच्छी हो, बुरी हो, जो भी हो, उसमें से ही सीखना है और उसी के सहारे आगे बढ़ना है। सकारात्मक आलोचना लोकतंत्र को बल देती है। एक जागरूक राष्ट्र के लिए, एक चैतन्य पूर्ण राष्ट्र के लिए, ये मंथन बहुत ही आवश्यक होता है।